
पंजाब विधानसभा में जल संकट पर बोलते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जो सच्चाई सामने रखी, वह हर पंजाबी को गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है। उन्होंने बताया कि पंजाब में धान (चावल) की खेती के एक सीजन के दौरान हम ज़मीन के नीचे से 9 गोबिंद सागर झीलों जितना पानी निकाल लेते हैं। यह आँकड़ा अपने आप में हैरान कर देने वाला है और आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरे की घंटी है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि आज मालवा क्षेत्र में जिस गहराई से पानी निकाला जा रहा है, उसी गहराई से सऊदी अरब जैसे देश तेल निकालते हैं। इसका मतलब है कि पंजाब की ज़मीन से पानी अब बहुत गहरे स्तर तक गिर चुका है, और यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि कई जगहों पर बोरवेल का पानी गर्म निकल रहा है और मछली मोटरें भी काम करना बंद कर चुकी हैं। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हम पानी की कितनी बड़ी कीमत चुका रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तो पानी खींचने के लिए पाइपें भी कम पड़ गई हैं, और हमें बेंगलुरु से पाइपें मंगवानी पड़ रही हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह संकट आज का नहीं है, बल्कि यह उन गलत नीतियों का नतीजा है जो पिछली सरकारों ने अपनाईं। अब मौजूदा सरकार और जनता को मिलकर इस मुसीबत से निपटना होगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पानी के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विरोधी नेताओं से हमारी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, सिर्फ विचारों का मतभेद है। लेकिन जब बात पंजाब के पानी की हो, तो सबको साथ आना होगा।
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि पंजाब का एक-एक कतरा पानी बचाया जाएगा और राज्य से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। चाहे इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक क्यों न जाना पड़े, उनकी सरकार पीछे नहीं हटेगी। उनका कहना था कि जो भी निर्णय होंगे, वे जनता के सामने पारदर्शी ढंग से रखे जाएंगे।
यह बयान न सिर्फ पंजाब के मौजूदा जल संकट को उजागर करता है, बल्कि हमें चेतावनी देता है कि अगर अब भी समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में यह संकट और भयावह हो सकता है। मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के लिए मिलकर काम करने की अपील की।