कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केरल की वायनाड सीट पर सोमवार, 28 अक्टूबर को चुनाव प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने रोड शो किया और जनसभा को संबोधित कर अपने भाई राहुल गांधी का जिक्र किया, जिनके लिए वायनाड का संबंध हमेशा विशेष रहा है। प्रियंका ने जनता को धन्यवाद करते हुए कहा कि जब सभी ने मुंह मोड़ा, तब वायनाड ने राहुल गांधी का समर्थन किया और आज भी वे इसे परिवार की तरह मानते हैं।
प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी सरकार ने देश में भय, अविश्वास और गुस्से का माहौल बना दिया है, खासकर मणिपुर में, जहां तनाव योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों से समझौते का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की नीतियां आम जनता की बजाय पीएम के दोस्तों के फायदे के लिए बनाई जा रही हैं। कांग्रेस नेता ने किसानों और आदिवासियों के मुद्दों को भी उठाया, जिनकी जमीनें हड़पी जा रही हैं।
प्रियंका गांधी ने वायनाड के स्थानीय मुद्दों पर वादे किए कि वे राहुल गांधी की तरह इन मुद्दों को दिल्ली तक ले जाएंगी। उन्होंने मेडिकल कॉलेज की मांग, जंगली जानवरों से हो रही समस्याओं, पानी और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों का समाधान लाने का आश्वासन दिया। प्रियंका ने कहा, “आज हम संविधान, लोकतंत्र, समानता और सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं आपको वायनाड की जनता का विश्वास नहीं तोड़ने दूंगी और आपके लिए मजबूती से आवाज़ उठाऊंगी।”
वायनाड से अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि वे इस सीट से जुड़ी रहेंगी चाहे वे चुनी जाएं या नहीं। उन्होंने कहा कि उनके संबंध केवल चुनावी नहीं हैं, बल्कि यहां के लोगों के मुद्दों के लिए वे हमेशा उपलब्ध रहेंगी। प्रियंका ने यह भी कहा कि वह इन सभी मुद्दों को व्यक्तिगत रूप से राहुल गांधी की तरह उठाएंगी और यहां के लोगों के लिए संघर्ष जारी रखेंगी।
सभा के दौरान प्रियंका ने अपने पिता राजीव गांधी और मदर टेरेसा को भी याद किया। उन्होंने बताया कि जब उनके पिता का निधन हुआ, तब मदर टेरेसा उनके घर आईं और उन्होंने प्रियंका को अपने साथ सेवा कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मदर टेरेसा की संस्था में बच्चों को पढ़ाने, सफाई करने और भोजन पकाने जैसे काम किए, जिससे उन्हें सेवा और त्याग का गहरा अनुभव मिला।
प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि वायनाड से उनका जुड़ाव सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है। उनके लिए यह भावनात्मक जुड़ाव है और वे इसे भविष्य में भी निभाती रहेंगी।