वायनाड: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरी हैं और वायनाड सीट से अपनी किस्मत आजमा रही हैं। इस सीट पर उपचुनाव तब हुआ जब राहुल गांधी ने रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वायनाड सीट खाली कर दी थी। राहुल गांधी के स्थान पर अब उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस के टिकट पर संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। इस उपचुनाव में कुल 16 उम्मीदवारों ने भाग लिया, जिनमें वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के प्रत्याशी सत्यन मोकेरी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नव्या हरिदास भी शामिल हैं।
कम हुआ मतदान प्रतिशत
2019 के लोकसभा चुनाव में जब राहुल गांधी वायनाड से मैदान में उतरे थे, तब वायनाड में 80 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। लेकिन इस बार उपचुनाव में मतदान प्रतिशत में कमी देखी गई। उपचुनाव के दिन, सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लोग जमा होने लगे थे, और शुरुआती आठ घंटों में ही 50 फीसदी से ज्यादा मतदान हो गया था। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम आंकड़ों के अनुसार, रात 9 बजे तक वायनाड में 64.72 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। कांग्रेस के गठबंधन वाले यूडीएफ ने इस बार कम हुए मतदान प्रतिशत को लेकर चिंता जताई है, लेकिन प्रियंका की जीत पर इसका प्रभाव नहीं पड़ने का विश्वास जताया है।
प्रियंका गांधी का मुकाबला
वायनाड में प्रियंका गांधी का सीधा मुकाबला वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास से है। एलडीएफ और बीजेपी ने इस सीट पर कड़ी टक्कर देने के लिए अपने उम्मीदवारों को पूरी ताकत के साथ उतारा है। वायनाड में कांग्रेस का मजबूत जनाधार है, जिसे बरकरार रखने के लिए प्रियंका गांधी ने प्रचार में जोर लगाया। कांग्रेस ने यहां की जनता को राहुल गांधी द्वारा किए गए कामों और उनके योगदान की याद दिलाने का प्रयास किया है, जिससे प्रियंका गांधी को जनता का समर्थन मिल सके।
कांग्रेस की रणनीति और प्रियंका की उम्मीदें
प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट किया और व्यापक स्तर पर प्रचार किया। प्रियंका गांधी ने क्षेत्र में जनसभाएं कीं और लोगों से सीधा संवाद स्थापित किया। कांग्रेस का मानना है कि वायनाड में प्रियंका गांधी की मौजूदगी से पार्टी की स्थिति मजबूत होगी और उनकी जीत संभावित है। प्रियंका गांधी का यह पहला चुनाव है, और उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद है कि वायनाड की जनता उनके पक्ष में मतदान करेगी।
वोटिंग प्रतिशत में गिरावट का असर
कम मतदान प्रतिशत पर कांग्रेस और यूडीएफ ने प्रतिक्रिया दी है। यूडीएफ ने कहा कि भले ही इस बार मतदान प्रतिशत कम हुआ हो, लेकिन इससे प्रियंका गांधी की जीत के अवसरों पर कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा। यूडीएफ के प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव के दौरान यूडीएफ के कार्यकर्ताओं ने हर गांव और क्षेत्र में जाकर मतदाताओं को जागरूक किया और मतदान में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। यूडीएफ को भरोसा है कि वायनाड की जनता ने प्रियंका गांधी पर भरोसा जताया है, और वे उनके पक्ष में ही मतदान करेंगे।
वायनाड में कांग्रेस का प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
वायनाड में कांग्रेस का मजबूत जनाधार है, जो 2019 के चुनाव में राहुल गांधी की जीत से स्पष्ट होता है। राहुल गांधी के यहां से चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस का प्रभाव इस क्षेत्र में और बढ़ा है। प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी से कांग्रेस को उम्मीद है कि वे इस प्रभाव को बरकरार रखते हुए एक नई सियासी मजबूती हासिल करेंगी। पार्टी के कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस को केरल में नई ऊर्जा मिलेगी और उनके नेतृत्व में कांग्रेस की स्थिति और मजबूत होगी।
नतीजों का इंतजार
अब वायनाड की जनता और कांग्रेस पार्टी को चुनाव के नतीजों का इंतजार है। प्रियंका गांधी के पहले चुनाव का यह परिणाम न केवल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके राजनीतिक करियर में भी एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। पार्टी और उनके समर्थकों को पूरी उम्मीद है कि प्रियंका गांधी को जनता का समर्थन मिलेगा और वे वायनाड सीट पर विजयी होंगी।
इस उपचुनाव के नतीजे न केवल वायनाड के लिए, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भविष्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होंगे। प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस को केरल में एक नई पहचान मिलेगी और यह भविष्य के चुनावों में पार्टी के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर सकता है।