Wayanad landslides: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन के हादसे की तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि भूस्खलन से पहले वायनाड कितना हरा-भरा और सुंदर था, जहाँ पेड़-पौधे और आवासीय क्षेत्र थे। लेकिन हादसे के बाद अब अधिकांश इलाके में केवल मलबा ही नजर आ रहा है। पेड़-पौधे गायब हो गए हैं और घरों का ढेर बन गया है।
भारी बारिश के बाद वायनाड में हुए भूस्खलन ने व्यापक तबाही मचाई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के अनुसार, इस हादसे में 308 लोगों की मौत हो गई है और 200 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। ऐसे में मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है। आमतौर पर भूस्खलन अधिकतर उत्तर भारतीय राज्यों में होता है, लेकिन इस बार वायनाड, केरल में यह घटना घटी है जिसमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
नुकसान की सीमा
वायनाड के भूस्खलन की सैटेलाइट तस्वीरें व्यापक नुकसान को उजागर करती हैं। ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) हैदराबाद ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें जारी की हैं। NRSC ने वायनाड जिले के चूरलमाला में 30 जुलाई को हुए भूस्खलन की पहले और बाद की तस्वीरें जारी की हैं। तस्वीरों से पता चलता है कि भूस्खलन के कारण लगभग 86,000 वर्ग मीटर का क्षेत्र ढह गया। तस्वीरें 22 मई 2023 को Cartosat 3 सैटेलाइट द्वारा और 31 जुलाई को RISAT सैटेलाइट द्वारा ली गई थीं, जो भूस्खलन के एक दिन बाद की हैं।
8 किमी लंबा भूस्खलन
NSRC ने कहा कि चूरलमाला के आसपास भारी बारिश के कारण विशाल मलबा प्रवाह शुरू हुआ। 31 जुलाई की RISAT SAR तस्वीरें इसी विशाल मलबा प्रवाह को दिखाती हैं जो क्राउन से लेकर रन-आउट ज़ोन तक फैला हुआ है। भूस्खलन की अनुमानित लंबाई 8 किमी है। NRSC द्वारा जारी की गई तस्वीरों में इसी स्थान पर पहले के भूस्खलनों के प्रमाण भी दिखाते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि क्राउन ज़ोन एक पुराने भूस्खलन की पुनः सक्रियता है।
86,000 वर्ग मीटर का मलबा
भूस्खलन के मुख्य मलबे का आकार 86,000 वर्ग मीटर है। मलबा प्रवाह ने इरुविंपुझा और मुंडक्कई नदियों की धारा को चौड़ा कर दिया, जिससे वे अपनी सीमा को तोड़ते हुए गांवों और घरों को तबाह कर दिया। ISRO की इन तस्वीरों से भूस्खलन की स्थिति का विस्तृत दृश्य प्रस्तुत किया गया है।