उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अगले तीन से चार दिनों में तापमान में गिरावट शुरू होने की संभावना है, लेकिन यह एकाएक नहीं होगा। मौसम में धीरे-धीरे गिरावट आएगी, जिससे अगले एक सप्ताह के दौरान ठंड का अहसास नहीं होगा। मौसम विभाग (आइएमडी) ने बताया है कि वर्तमान में अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान औसत से दो से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक है, इसलिए तत्काल ठंड का कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।
तापमान में gradual गिरावट
आइएमडी के अनुसार, नवंबर महीने में तापमान में गिरावट की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले तापमान सामान्य स्तर पर पहुंचेगा और फिर सामान्य से नीचे आएगा, जिसके बाद ठंड की शुरुआत होगी। यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होगी, और इसके परिणामस्वरूप ठंड का प्रभाव महसूस किया जा सकेगा।
जनवरी में संभावित ठंड
आइएमडी के महानिदेशक मृत्यंजय महापात्रा ने बताया कि इस बार अत्यधिक ठंड पड़ने की आशंका फिलहाल खारिज की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रशांत महासागर में अभी तक ला-नीना की स्थिति नहीं बनी है। अगर दिसंबर तक यह स्थिति बनती है, तो जनवरी में अत्यधिक ठंड पड़ने की संभावना है। महापात्रा ने कहा कि ला-नीना प्रशांत महासागर के पानी को ठंडा करता है, जबकि अल-नीनो इसके विपरीत पानी को गर्म करता है। इन दोनों स्थितियों का भारत के मौसम पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।
मौसम के बारे में अन्य पूर्वानुमान
महापात्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि आइएमडी ठंड का पूर्वानुमान नहीं लगाता, बल्कि हर सप्ताह तापमान का अग्रिम अनुमान जारी करता है, जिसके आधार पर मौसम का समुचित आकलन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नवंबर महीने को जाड़े का मौसम नहीं माना जाता है, जबकि दिसंबर और जनवरी को ठंड का मौसम समझा जाता है।
अधिकतम तापमान में वृद्धि
नवंबर माह के मौसम के बारे में महापात्रा ने बताया कि पूर्वोत्तर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक हो सकता है। वहीं, उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे आ सकता है, जिससे ठंड में वृद्धि हो सकती है।
उत्तर-पूर्वी मानसून का प्रभाव
उत्तर-पूर्वी मानसून के प्रभाव के चलते नवंबर में दक्षिण के राज्यों और समुद्र तटीय इलाकों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है। हालांकि, उत्तर भारत और मध्य भारत में इस दौरान सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। यदि इस दौरान पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता बढ़ती है, तो पूरे उत्तर भारत में वर्षा हो सकती है।
पहाड़ों पर बर्फबारी का प्रभाव
फिलहाल, पहाड़ों पर तीन-चार दिनों से बर्फबारी हो रही है, जिसके चलते 31 अक्टूबर से उत्तर भारत के राज्यों में तेज हवा चलने लगी है। यह स्थिति अगले दो-तीन दिनों तक जारी रहने की संभावना है। इसके बाद मौसम साफ होगा और तापमान में गिरावट आनी शुरू हो जाएगी।
उत्तर भारत में मौसम परिवर्तन की इस प्रक्रिया के दौरान, नागरिकों को ठंड का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार, धीरे-धीरे गिरने वाले तापमान के साथ, ठंड का अहसास आने में समय लगेगा, लेकिन जैसे-जैसे जनवरी की ओर बढ़ेंगे, ठंड में वृद्धि होने की संभावना है। सभी को चाहिए कि वे मौसम की स्थिति के प्रति सजग रहें और उचित उपाय करें ताकि स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।