हर साल की तरह इस बार भी दुनिया ने नए साल के आगमन का जश्न जोर-शोर से मनाया। टाइम जोन के अंतर के कारण हर देश का नया साल अलग समय पर शुरू होता है। इस साल सबसे पहले किरीटीमाटी द्वीप, जिसे क्रिसमस द्वीप भी कहा जाता है, ने 2025 का स्वागत किया। यह द्वीप किरिबाती रिपब्लिक का हिस्सा है और भारत के समय से 7 घंटे 30 मिनट आगे है।
किरीटीमाटी द्वीप पर 2025 का जश्न बेहद खास और रंगीन था। वहां के निवासियों ने आतिशबाजी, पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ नए साल का स्वागत किया। इसके बाद न्यूजीलैंड ने भी नए साल का जोरदार स्वागत किया। ऑकलैंड में भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया गया, जिसे देखने के लिए हजारों लोग जमा हुए। स्काई टॉवर की आतिशबाजी ने आसमान को रंगीन कर दिया और शहर जश्न में डूब गया।
न्यूजीलैंड में भव्य आयोजन
न्यूजीलैंड में नए साल का जश्न देशभर में देखने लायक था। बड़े शहरों जैसे ऑकलैंड, वेलिंगटन और क्राइस्टचर्च में लोग सड़कों पर उतरे और एक-दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं दीं। ऑकलैंड का स्काई टॉवर, जो नए साल की गिनती के लिए मशहूर है, पूरी तरह रोशनी और आतिशबाजी से सज गया था।
अलग-अलग टाइम जोन में नए साल का स्वागत
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में टाइम जोन के कारण नया साल अलग समय पर शुरू होता है। भारत से पहले कुल 41 देश नया साल मना चुके थे। किरीटीमाटी और न्यूजीलैंड के बाद ऑस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया और अन्य प्रशांत देशों ने 2025 का स्वागत किया।
भारत में भी नए साल का जश्न शानदार तरीके से मनाने की तैयारी हो चुकी है। लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने, पार्टियों में शामिल होने और आतिशबाजी का आनंद लेने के लिए उत्साहित हैं।
नए साल का महत्व
नया साल केवल एक तारीख बदलने का समय नहीं है, बल्कि यह अतीत को पीछे छोड़कर उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम बढ़ाने का प्रतीक है। यह समय है पुराने अनुभवों से सीख लेकर नए लक्ष्य तय करने का। दुनिया भर में लोग इसे उम्मीद और नई शुरुआत के जश्न के रूप में देखते हैं।
साल 2025 का आगमन इस बात का प्रतीक है कि हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में कुछ नया और बेहतर करने की कोशिश करे। यह समय है मिलजुलकर आगे बढ़ने और खुशियों का उत्सव मनाने का।