
शुक्रवार, 16 मई 2025 को हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन सोने की कीमतों में फिर से उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें पहले जहां कॉमेक्स (COMEX) पर $3,255 प्रति औंस के उच्च स्तर तक पहुंची थीं, वहीं बाद में इसमें गिरावट देखी गई और यह खबर लिखे जाने तक लगभग $3,220 प्रति औंस पर कारोबार करता दिखा।
हालांकि यह कल के $3,120 प्रति औंस के निचले स्तर से लगभग $100 ऊपर है, लेकिन बाजार के जानकारों का मानना है कि सोने में अभी भी कमजोरी के संकेत बरकरार हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका द्वारा यूके और चीन के साथ व्यापार समझौते के ऐलान के बाद इस महीने निवेशकों ने सोने में मुनाफावसूली की, जिससे कीमतों पर दबाव बना।
क्या कहता है तकनीकी विश्लेषण?
तकनीकी विश्लेषकों का कहना है कि सोने की कीमतें अभी भी मुनाफावसूली के दबाव में हैं। अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापार युद्ध की चिंताओं में कमी, और फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में तत्काल कटौती की उम्मीदें कमजोर पड़ने से सोने पर दबाव बन रहा है।
घरेलू बाजार की स्थिति
भारत के घरेलू वायदा बाजार में भी शुक्रवार को सोने की कीमतें थोड़ी नरमी के साथ कारोबार करती दिखीं।
MCX (Multi Commodity Exchange) पर 5 जून 2025 को डिलीवरी वाले सोने का भाव 0.04% या ₹39 की गिरावट के साथ ₹93,130 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। वहीं, 5 अगस्त 2025 की डिलीवरी वाला सोना 0.09% या ₹80 की गिरावट के साथ ₹93,864 प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड करता नजर आया।
जानकार क्या कहते हैं?
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की उपाध्यक्ष अक्शा कंबोज ने कहा, “अमेरिका में बांड यील्ड में वृद्धि और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना कमजोर होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों पर दबाव पड़ सकता है। इसका असर भारतीय बाजार पर भी साफ दिख रहा है।”
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
निवेशकों को मौजूदा समय में सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। चूंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितता बनी हुई है, इसलिए भावों में तेज उतार-चढ़ाव संभव है। यदि फेडरल रिज़र्व अपने रुख में कोई नरमी लाता है या वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव आता है, तो सोने की कीमतें फिर से तेज़ी दिखा सकती हैं।
सोने की कीमतें इस समय अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों ही मोर्चों पर दबाव में हैं। व्यापार समझौते, फेड की नीतियां और बांड यील्ड जैसे कारक इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। आने वाले दिनों में निवेशकों की नजरें अमेरिका के आर्थिक संकेतकों और फेडरल रिज़र्व के बयानों पर रहेंगी, जो सोने की दिशा तय कर सकते हैं।
इसलिए, चाहे आप निवेशक हों या सोने के खरीदार, फिलहाल थोड़ा इंतजार और सतर्क रणनीति अपनाना बेहतर होगा।