
पंजाब ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह देश के प्रमुख अन्नदाता राज्यों में से एक है। वर्ष 2025-26 में राज्य में गेहूं का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन दर्ज किया गया है, जो किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर है। इस साल कुल 188 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल के 179.82 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 8.18 लाख मीट्रिक टन ज्यादा है। यानी इस बार उत्पादन में करीब 4.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सरकारी खरीद का लक्ष्य पार
इस बार पंजाब सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य 124 लाख मीट्रिक टन रखा था। लेकिन किसानों की अच्छी पैदावार और मंडियों में सुचारु प्रबंध के चलते सरकार इस लक्ष्य को पार कर गई है। अब तक 130 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं की खरीद की जा चुकी है। यानी सरकार ने लक्ष्य से 6 लाख मीट्रिक टन ज्यादा गेहूं खरीद कर लिया है, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। पंजाब की अनाज मंडियों में 15 मई से सरकारी खरीद बंद कर दी गई है। इसका कारण यह है कि अधिकतर खरीद पहले ही पूरी हो चुकी थी। सरकार की ओर से यह कदम पहले से तय प्रक्रिया के तहत उठाया गया है।
किसानों ने की भंडारण की तैयारी
इस बार एक दिलचस्प पहलू यह देखने को मिला कि कई किसानों ने अपनी फसल मंडी में बेचने की बजाय घर में स्टोर करना पसंद किया। इसका कारण है कि उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में खुला बाजार (ओपन मार्केट) उन्हें बेहतर दाम देगा। किसानों की इसी रणनीति के चलते इस बार निजी खरीद एजेंसियों ने भी गेहूं खरीद में दिलचस्पी दिखाई है और बड़े स्तर पर खरीदारी की है।
बाजार में कीमतों को लेकर हलचल संभव
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में जब ये स्टॉक धीरे-धीरे बाजार में आएंगे, तब गेहूं की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। ओपन मार्केट में मांग और आपूर्ति के आधार पर कीमतें बदल सकती हैं।
मुख्य बातें एक नजर में:
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गेहूं उत्पादन में 4.5% की बढ़ोतरी
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188 लाख मीट्रिक टन हुआ कुल उत्पादन
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130 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की सरकारी खरीद
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15 मई से सरकारी खरीद बंद
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निजी एजेंसियों ने बढ़ाई खरीदारी
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किसान बेहतर दामों के लिए फसल स्टोर कर रहे हैं
इस बंपर पैदावार के पीछे अच्छी मौसम स्थितियां, समय पर बारिश और सरकार की ओर से किए गए कृषि सुधारों को बड़ी वजह माना जा रहा है। इससे यह भी साफ होता है कि पंजाब के किसान तकनीकी और रणनीतिक दृष्टि से काफी सजग हो चुके हैं और वे बाजार की नब्ज समझकर अपने फैसले ले रहे हैं।
अगर आने वाले समय में सरकार और किसान इसी तरह मिलकर काम करते रहे, तो पंजाब न केवल देश की बल्कि दुनिया की खाद्य सुरक्षा में भी अहम योगदान दे सकता है।