विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेडरोस अदनोम गेब्रेहेसुस ने शनिवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि वह यमन की हूती विद्रोही-नियंत्रित राजधानी सना के हवाई अड्डे पर हुए इजरायली हवाई हमलों में बाल-बाल बच गए। उन्होंने बताया कि गुरुवार को जब यह हमला हुआ, तब वह सना हवाई अड्डे पर फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे।
हमले का भयानक अनुभव
टेडरोस ने BBC रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि हमलों के दौरान आवाज इतनी तेज थी कि वह सुन्न रह गए। उन्होंने बताया कि एक के बाद एक कई विस्फोट हुए, जिनकी गूंज अब भी उनके कानों में सुनाई देती है। टेडरोस ने इस भयावह मंजर को याद करते हुए कहा, “विस्फोट इतना भयंकर था कि उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। अगर मिसाइल थोड़ा सा भी इधर-उधर होती, तो हमारी जान जा सकती थी।”
उन्होंने आगे बताया कि लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन कोई सुरक्षा नहीं थी। टेडरोस ने यह भी कहा कि उनके एक सहयोगी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वे मौत से बच गए।
हमलों के पीछे का कारण
गुरुवार को इजरायल ने सना के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और हूती विद्रोहियों के अन्य ठिकानों को निशाना बनाया था। इजरायल का कहना है कि ये हमले हूती विद्रोहियों के खिलाफ किए गए थे। यह हमला 19 दिसंबर के बाद दूसरी बार हुआ, जब इजरायल ने यमन में हूती विद्रोहियों पर निशाना साधा।
हूती विद्रोहियों की प्रतिक्रिया
हूती विद्रोही समूह के उप परिवहन मंत्री याह्या अल-सयानी ने बताया कि इन हमलों में चार लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। यह हमला सना हवाई अड्डे पर कई स्थानों को क्षतिग्रस्त कर गया, जिससे लोगों में भय का माहौल है।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख का संदेश
ट्विटर पर टेडरोस ने इस हमले का वीडियो साझा किया और हवाई अड्डे के कर्मचारियों व सहयोगियों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया। उन्होंने लिखा, “यह बहुत खतरनाक हमला था, लेकिन हम सुरक्षित रूप से जॉर्डन पहुंच गए हैं।”
टेडरोस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। उन्होंने ऐसे हमलों की निंदा करते हुए सभी पक्षों से अपील की कि नागरिकों की सुरक्षा का आदर किया जाए।
इस हमले के बाद यमन में तनाव और बढ़ने की संभावना है। इजरायली हमलों और हूती विद्रोहियों के बीच जारी संघर्ष से न केवल स्थानीय लोग प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अधिकारी भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। WHO प्रमुख टेडरोस का यह अनुभव एक गंभीर चेतावनी है कि संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में काम करना कितना जोखिमपूर्ण है।