
कुछ महीने पहले तक जो सोना निवेशकों के लिए तगड़ा मुनाफा कमा रहा था, वही अब गिरावट के संकेत दे रहा है। मार्च-अप्रैल में सोने की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुँच गई थीं, जिससे लग रहा था कि ये उचाई और बढ़ेगी। लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकेतों और हाल के घटनाक्रमों के चलते सोने की चमक कुछ फीकी पड़ गई है।
ऑपरेशन सिंदूर और वैश्विक हालात का असर
भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदੂਰ” के चलते बाजार में थोड़ी अस्थिरता आई थी। आमतौर पर इस तरह की घटनाओं से सोने की कीमत बढ़ती है, क्योंकि सोना “सुरक्षित निवेश” माना जाता है। लेकिन इसके उलट, इस बार सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई है। फिलहाल सोने की कीमत करीब 97,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई है।
विशेषज्ञों की राय: और गिर सकता है सोना
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय सुरेश केडिया का कहना है कि सोने की कीमतें अभी और गिर सकती हैं। उनका मानना है कि आने वाले हफ्तों में सोना 80,000 से 85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है।
गिरावट के पीछे की 4 बड़ी वजहें
1. मुनाफा वसूली का दौर
जब सोना रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, तो बड़े निवेशकों ने मुनाफा वसूलना शुरू कर दिया। इसके चलते सोने की मांग में गिरावट आई और कीमतों को सहारा देने वाला दबाव कम हो गया।
2. वैश्विक तनाव में कमी
सोना हमेशा एक सुरक्षित विकल्प के तौर पर देखा जाता है, खासकर तब जब दुनिया में संकट हो। लेकिन फिलहाल भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव शांत है और अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति भी अब सुधर रही है। इसके चलते निवेशक अब सोने की जगह दूसरी संपत्तियों की ओर जा रहे हैं।
3. आरबीआई की संभावित मौद्रिक नीति
6 जून को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति बैठक होने जा रही है। अगर आरबीआई रेपो रेट घटाता है यानी ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे सोने की कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
4. अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की रणनीति
अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। राष्ट्रपति ट्रंप तो दरें घटाने का दबाव डाल रहे हैं, लेकिन फेडरल रिजर्व सतर्क नजर आ रहा है। अगर वहां दरों में कटौती नहीं होती, तो सोने की कीमतों को और झटका लग सकता है।
क्या करें निवेशक?
अगर आपने ऊँची कीमतों पर सोना खरीदा है, तो फिलहाल थोड़ा इंतजार करना बेहतर हो सकता है। वहीं, जो लोग निवेश की सोच रहे हैं, उनके लिए यह गिरावट एक मौका हो सकती है — लेकिन जोखिम को ध्यान में रखते हुए ही फैसला लें।
सोने की कीमतों में गिरावट का यह दौर अस्थायी भी हो सकता है और लंबा भी। यह पूरी तरह वैश्विक आर्थिक स्थिति, ब्याज दरों की नीति और भू-राजनीतिक घटनाओं पर निर्भर करेगा। फिलहाल यह स्पष्ट है कि सोने की चमक थोड़ी मद्धम जरूर हुई है।