संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होने जा रहा है, और इससे पहले सरकार ने 24 नवंबर को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह जानकारी रविवार को केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने सोशल मीडिया मंच X पर दी। उन्होंने बताया कि इस बैठक का आयोजन संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के मद्देनजर किया जा रहा है, जिसमें सरकार विपक्षी दलों के साथ चर्चा करेगी और सत्र के एजेंडे पर विचार करेगी।
सर्वदलीय बैठक का उद्देश्य
सर्वदलीय बैठक का मुख्य उद्देश्य विपक्षी दलों को सरकार के विधायी एजेंडे के बारे में जानकारी देना है। इस बैठक में सरकार उन मुद्दों पर भी चर्चा करती है जिन पर विपक्षी दल संसद में बहस करना चाहते हैं। यह बैठक दोनों पक्षों के बीच संवाद को बेहतर बनाने और शीतकालीन सत्र के लिए बेहतर तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके अलावा, इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच राजनीतिक समझौतों और बहस के विषयों पर चर्चा की जाती है, जिससे संसद में सत्र के दौरान किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो।
संविधान दिवस और विशेष कार्यक्रम
इस बार शीतकालीन सत्र की शुरुआत संविधान दिवस से एक दिन पहले हो रही है। 26 नवंबर को संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस मौके पर पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया था, और यह 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ था।
पहले हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन 2015 में संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य नागरिकों को संविधान के महत्व और संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना है।
इस तरह, आगामी शीतकालीन सत्र और संविधान दिवस दोनों ही महत्वपूर्ण अवसर हैं, जो भारतीय राजनीति और संवैधानिक इतिहास में अपनी खास पहचान रखते हैं।