मकर संक्रांति के पावन अवसर पर संगम नगरी प्रयागराज में सनातन आस्था के महापर्व महाकुंभ का पहला अमृत स्नान जारी है। संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं। सिर पर गर्म कपड़ों की गठरी लिए लोग संगम की ओर बढ़ते हुए भक्ति के इस अद्भुत माहौल में लीन हैं। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कड़ी व्यवस्था के कारण भीड़ को सुगमता से नियंत्रित किया जा रहा है। अब तक कहीं से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।
अमृत स्नान की परंपरा और क्रम
महाकुंभ के अमृत स्नान की शुरुआत अखाड़ों के साधु-संन्यासियों से होती है। परंपरा के अनुसार, पहले अखाड़ों के साधु-संन्यासियों ने अपने इष्ट देवताओं और ध्वजाओं का संगम में स्नान कराया। इसके बाद जयकारों के साथ नागा साधुओं ने डुबकी लगाई। नागा साधुओं के पीछे आचार्य महामंडलेश्वर, अन्य मंडलेश्वर, श्रीमहंत और महंत क्रमबद्ध तरीके से स्नान करने पहुंचे।
प्रशासन द्वारा अखाड़ों के स्नान का क्रम पहले ही तय कर दिया गया था, जिससे सब कुछ सुव्यवस्थित रहा।
अखाड़ों की दिव्य शोभा यात्रा
सुबह के समय अखाड़ों के साधु-संन्यासियों ने परंपरा अनुसार दिव्य शोभा यात्रा निकाली। नागा साधु भस्म रमाए, जटा-जूट सजाए और तीर-तलवार, भाले, ढोल-नगाड़ों के साथ इष्ट देवताओं के जयकारे लगाते हुए संगम की ओर बढ़े। शोभा यात्रा में धर्म ध्वजा को विशेष रूप से सुसज्जित किया गया। रथ, हाथी और घोड़ों पर सवार साधु-संतों ने मंत्रोच्चार के साथ स्नान विधि पूरी की।
संगम पर अद्भुत नजारा
अमृत स्नान के दौरान संगम पर आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। नागा साधुओं के स्नान के बाद अन्य साधु-संन्यासियों ने स्नान किया। इसके बाद संगम घाट को आम लोगों के लिए खोला गया। हालांकि, प्रयागराज के बाकी 28 घाटों पर श्रद्धालु पहले से ही सामान्य रूप से स्नान कर रहे हैं।
अमृत स्नान का महत्व
सनातन परंपरा में महाकुंभ के अमृत स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन संगम में डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से महाकुंभ में अखाड़ों द्वारा दिव्य शोभा यात्रा के साथ अमृत स्नान की परंपरा आरंभ हुई थी।
इष्ट देवों का पूजन
अमृत स्नान से पहले अखाड़ों में इष्ट देवताओं का पूजन किया गया। मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक स्नान विधि पूरी करने के बाद अखाड़े के साधु-संन्यासियों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई।
भक्तिमय माहौल और आस्था का संगम
संगम पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब आस्था और भक्ति का प्रतीक बना हुआ है। हर तरफ मंत्रोच्चार, जयघोष और घंटियों की गूंज सुनाई दे रही है। अमृत स्नान का यह नजारा सनातन परंपरा की गहराई और महाकुंभ की महत्ता को दर्शाता है।
महाकुंभ के इस पहले अमृत स्नान ने संगम नगरी को भक्तिमय बना दिया है। श्रद्धालुओं और साधु-संतों की भागीदारी ने इस महापर्व को दिव्यता और भव्यता प्रदान की है।