
भारत न केवल दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, बल्कि अब यह अमीरों की बढ़ती संख्या के मामले में भी टॉप देशों में शामिल हो गया है। नाइट फ्रैंक की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट-2025 के अनुसार, भारत अब दुनिया में चौथे नंबर पर है जहां हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNWIs) यानी बहुत अमीर लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है।
देश में 85,698 अमीर, जल्द पहुंचेगा 93,000 के पार
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में ऐसे लोगों की संख्या, जिनकी नेटवर्थ 10 मिलियन डॉलर (लगभग 87 करोड़ रुपये) से अधिक है, अब 85,698 हो गई है। यह संख्या साल 2028 तक 93,758 तक पहुंचने का अनुमान है। इसका मतलब है कि भारत हर साल हज़ारों नए अमीर पैदा कर रहा है।
भारत से आगे हैं सिर्फ तीन देश
भारत इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है, जबकि पहले तीन स्थानों पर अमेरिका, चीन और जापान हैं। अमेरिका अब भी सबसे ज्यादा अमीरों वाला देश है। भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, टेक्नोलॉजी सेक्टर की ग्रोथ, रियल एस्टेट में निवेश और यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या इस तेजी का कारण हैं।
अरबपतियों की गिनती में भी भारत तीसरे स्थान पर
सिर्फ HNWI ही नहीं, बल्कि अरबपतियों की संख्या के मामले में भी भारत अब दुनिया के टॉप 3 देशों में शामिल हो गया है। साल 2024 में भारत में अरबपतियों की संख्या 12% बढ़कर 191 हो गई, जिनके पास कुल 950 अरब डॉलर की संपत्ति है। यह अमेरिका (5.7 ट्रिलियन डॉलर) और चीन (1.34 ट्रिलियन डॉलर) के बाद तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।
भारत में अमीर बनने की कीमत बाकी देशों से कम
भारत में अगर कोई व्यक्ति देश के टॉप 1% अमीरों की लिस्ट में शामिल होना चाहता है तो उसे लगभग 1.52 करोड़ रुपये की नेटवर्थ चाहिए। यह आंकड़ा दुनिया के कई बड़े देशों से बहुत कम है। उदाहरण के लिए, मोनाको में टॉप 1% में आने के लिए 107 करोड़ रुपये, अमेरिका में 48 करोड़ रुपये, और स्विट्ज़रलैंड में 71 करोड़ रुपये की ज़रूरत होती है।
किन सेक्टर्स से बन रहे हैं ज़्यादा अमीर?
भारत में अमीर बनने वालों में ज़्यादातर लोग टेक्नोलॉजी, रियल एस्टेट, फाइनेंशियल सर्विसेज और स्टार्टअप्स से जुड़े हुए हैं। देश में तेजी से बढ़ते यूनिकॉर्न और ग्लोबल लेवल पर काम कर रहे बिजनेस मैन इस ग्रोथ को और आगे बढ़ा रहे हैं।
भारत धीरे-धीरे ग्लोबल वेल्थ मैप पर अपनी मज़बूत पकड़ बना रहा है। आने वाले वर्षों में यहां के अमीरों की संख्या और भी तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है। इससे भारत न केवल आर्थिक रूप से बल्कि ग्लोबल इनवेस्टमेंट और फाइनेंशियल पावर के लिहाज से भी एक बड़ी ताकत के रूप में उभरता रहेगा।