
पुणे जिले की मावल तहसील के कुंडमाला इलाके में रविवार को एक दुखद हादसा हो गया। इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना लोहे का पुल तेज बारिश और पानी के तेज बहाव के कारण टूट गया। यह पुल तालेगांव दाभाड़े के पास था और पिछले तीन महीनों से वाहनों की आवाजाही के लिए बंद था, लेकिन इसके बावजूद लोग वहां पहुंच रहे थे।
भारी बारिश और पुल पर भीड़ बनी हादसे की वजह
रविवार को बारिश के चलते इंद्रायणी नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था। आसपास के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों जैसे लोनावला और भूशी डैम को प्रशासन ने पहले ही बंद कर दिया था, जिससे बड़ी संख्या में सैलानी नजदीकी इलाकों में घूमने आ गए। ऐसे में लगभग 100 से 120 लोग इंद्रायणी नदी के इस पुल पर इकट्ठा हो गए। कई लोग तो अपने दोपहिया वाहनों के साथ पुल पर चढ़ गए थे।
पुल पहले से ही जर्जर हालत में था और भारी बारिश के कारण उसकी नींव और कमजोर हो गई थी। जब पुल पर लोगों और वाहनों का वजन बढ़ा, तो अचानक पुल टूटकर नदी में गिर गया। इस दौरान कई लोग नदी के तेज बहाव में बह गए।
बचाव कार्य जारी, अब तक 5-6 लोग बचाए गए
घटना के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया। अब तक 5 से 6 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। वहीं 10 से 15 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। चश्मदीदों के अनुसार, 25 से 30 लोगों के पानी में बहने की आशंका है।
एनडीआरएफ की टीमें लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हुई हैं। बचाव दल नावों और ड्रोन की मदद से लोगों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना पर दुख जताते हुए कहा, “मैं मृतकों की संख्या की फिलहाल पुष्टि नहीं कर सकता, लेकिन प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है। एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंच चुकी है और बचाव कार्य जारी है।”
स्थानीय विधायक सुनील शेलके ने बताया कि इस हादसे में अब तक कम से कम 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य लापता हैं। उन्होंने कहा कि पुल की हालत पहले से ही खराब थी और प्रशासन को इसे पूरी तरह बंद कर देना चाहिए था।
बड़ी लापरवाही की ओर इशारा
स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल पर आवाजाही पहले ही बंद कर दी गई थी, लेकिन कोई बैरिकेड या चेतावनी बोर्ड नहीं था। इसी कारण सैलानी और स्थानीय लोग वहां पहुंचते रहे। प्रशासन की ओर से इस पर सख्ती नहीं बरती गई, जिसका नतीजा इतना भयानक हादसा बन गया।
क्या सबक मिलना चाहिए?
इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जर्जर संरचनाओं को समय पर दुरुस्त न करना और प्रशासनिक लापरवाही कैसे जानलेवा साबित हो सकती है। साथ ही, आम लोगों को भी प्राकृतिक आपदाओं के समय सावधानी बरतनी चाहिए।
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के पुराने पुलों की समय पर जांच और मरम्मत नहीं होनी चाहिए? और क्या लोगों को भी चेतावनी को नज़रअंदाज़ करने की बजाय सावधानी नहीं बरतनी चाहिए?
यह हादसा एक बड़ी सीख है – प्रशासन और आम जनता दोनों के लिए।