UP News: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने सरकारी कर्मचारियों को RSS शाखाओं में जाने की छूट देने के निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राष्ट्रीय हित से परे और राजनीतिक रूप से प्रेरित है। मायावती का कहना है कि इसका उद्देश्य RSS के लोगों को खुश करना है और लोकसभा चुनावों के बाद BJP सरकार और RSS के बीच बने मतभेदों को कम करना है। उन्होंने इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 58 साल पुराने सरकारी कर्मचारियों के RSS शाखाओं में जाने पर प्रतिबंध को हटाने का निर्णय राष्ट्रीय हित के परे है। यह निर्णय RSS को खुश करने के लिए लिया गया है, ताकि लोकसभा चुनावों के बाद सरकारी नीतियों और उनकी अड़ियल भूमिकाओं के कारण दोनों के बीच बढ़े तनाव को कम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को संविधान और कानून के दायरे में रहते हुए सार्वजनिक हित और कल्याण के लिए निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए। हालांकि, RSS की गतिविधियाँ, जो कई बार प्रतिबंधित की जा चुकी हैं, न केवल बहुत राजनीतिक रही हैं बल्कि विशेष पार्टी के लिए चुनावी भी रही हैं। ऐसे में, यह निर्णय अन्यायपूर्ण है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
दरअसल, पिछले 58 वर्षों से सरकारी कर्मचारियों को RSS शाखाओं में जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ था, जिसे अब सरकार ने हटा दिया है। मायावती का कहना है कि यह कदम RSS के प्रति सरकार की झुकाव को दर्शाता है और इसे राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है। उनके अनुसार, इस निर्णय से सरकारी कर्मचारियों की निष्पक्षता और संविधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े होते हैं।
मायावती ने यह भी कहा कि यह निर्णय भारतीय राजनीति के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में अनावश्यक विवाद पैदा करेगा और यह सरकार की ओर से RSS के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने की एक कोशिश प्रतीत होती है। उनके अनुसार, ऐसा कदम सरकार की नीयत और प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाता है।
मायावती ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वे इस निर्णय की समीक्षा करें और इसे तुरंत वापस लें, ताकि सरकारी कर्मचारियों के कामकाज में किसी भी प्रकार की राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना को समाप्त किया जा सके। उनके अनुसार, यह कदम न केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
इस प्रकार, मायावती का यह बयान सरकारी कर्मचारियों के RSS शाखाओं में भागीदारी पर लगे प्रतिबंध को हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ एक तीव्र आलोचना है। उनका कहना है कि यह निर्णय राष्ट्रीय हित में नहीं है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।