Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ शहर से समाजवादी पार्टी (SP) के विधायक रफीक अंसारी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका स्वीकार कर ली है। कोर्ट के आदेश पर 27 मई को पुलिस ने रफीक अंसारी को बाराबंकी से गिरफ्तार किया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद, रफीक अंसारी सोमवार को जेल से रिहा हो सकते हैं।
कोर्ट का फैसला
जस्टिस राजीव मिश्रा की एकल पीठ ने SP विधायक रफीक अंसारी की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया है। रफीक अंसारी का नाम तब सुर्खियों में आया जब वे 1995 के दंगों के मामले में नियमित रूप से अदालत में पेश नहीं हो रहे थे, जबकि उनके खिलाफ कोर्ट द्वारा 101 वारंट जारी किए गए थे। हाई कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ जारी नॉन-बेलेबल वारंट के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था और तभी से वे जेल में थे।
हाजी रफीक अंसारी कौन हैं?
हाजी रफीक अंसारी मेरठ शहर विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार विधायक हैं। बीजेपी के मजबूत नेता डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई को हराकर हाजी रफीक अंसारी ने चुनाव जीता था। वे अखिलेश यादव के बहुत करीबी माने जाते हैं और मुलायम सिंह यादव के भी करीबी सहयोगियों में गिने जाते हैं।
विवाद और वारंट
रफीक अंसारी के खिलाफ एक मामले में 101 वारंट जारी किए गए थे, इसके बावजूद वे अदालत में पेश नहीं हुए। चर्चा की जा रही है कि वे इतने सारे वारंट के बावजूद अदालत में क्यों नहीं आए। क्या उनके किसी नेता के आदेश पर ऐसा हुआ?
वास्तव में, सितंबर 1995 में रफीक अंसारी समेत 35-40 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में 22 आरोपी बरी हो चुके हैं, लेकिन रफीक अंसारी ने कभी अदालत में पेश नहीं हुए। मेरठ कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147, 436 और 427 के तहत उनके खिलाफ 101 नॉन-बेलेबल वारंट जारी किए थे, लेकिन वे अदालत में पेश नहीं हुए और हाई कोर्ट चले गए। इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और पुलिस महानिदेशक को उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।