
भारत के लिए 25 जून 2025 का दिन बेहद खास है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथियों को लेकर Axiom-4 मिशन आज अंतरिक्ष के लिए रवाना हो सकता है। इस मिशन की लॉन्चिंग अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और निजी कंपनी SpaceX की साझेदारी में की जा रही है। शुभांशु ISS (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) जाने वाले दूसरे भारतीय और पहले भारतीय नागरिक होंगे।
कहां से और कब होगी लॉन्चिंग?
यह मिशन भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से लॉन्च होगा। लॉन्चिंग के लिए इस्तेमाल होगा SpaceX का Falcon 9 रॉकेट, जिसे दुनिया का सबसे ताकतवर और भरोसेमंद रॉकेट माना जाता है।
क्यों है Falcon 9 दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट?
Falcon 9 को अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने बनाया है। इस रॉकेट को खासतौर पर मानव मिशन, सैटेलाइट लॉन्चिंग और ISS तक सप्लाई भेजने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी कुछ खास बातें:
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दोबारा इस्तेमाल होने वाला बूस्टर: Falcon 9 का First Stage Booster दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है। यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है बल्कि स्पेस मिशन का खर्च भी काफी कम कर देता है। जहां अन्य रॉकेट्स का खर्च करीब 100 मिलियन डॉलर होता है, वहीं Falcon 9 का खर्च 30 मिलियन डॉलर से भी कम आता है।
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9 पावरफुल इंजन: इसमें लगे 9 Merlin इंजन रॉकेट को जबरदस्त ताकत देते हैं। यह इंजन RP-1 (रॉकेट ग्रेड केरोसीन) और लिक्विड ऑक्सीजन से चलता है।
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वजन उठाने की क्षमता: Falcon 9 रॉकेट 22800 किलो तक का भार पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) तक आसानी से पहुंचा सकता है।
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सक्सेस रेट: 2015 से अब तक Falcon 9 को 100 से ज्यादा बार लॉन्च किया गया है और इसका सफलता दर 98% से भी अधिक है। यही वजह है कि NASA ने इसे मानव मिशनों के लिए प्रमाणित कर दिया है।
कैसे जुड़े हैं शुभांशु शुक्ला और Falcon 9?
Axiom-4 मिशन में शुभांशु और उनकी टीम Crew Dragon कैप्सूल में सवार होंगे, जो Falcon 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। यह रॉकेट उन्हें सीधे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन तक ले जाएगा। Falcon 9 की एडवांस्ड तकनीक और सुरक्षा व्यवस्था शुभांशु के लिए इस मिशन को सुरक्षित और सफल बनाएगी।
भारत के लिए क्यों है ये पल खास?
1984 में राकेश शर्मा के बाद पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है। शुभांशु शुक्ला का यह सफर भारत के अंतरिक्ष इतिहास में नए युग की शुरुआत है। देश भर में लोग इस मिशन को लेकर उत्साहित हैं। शुभांशु के माता-पिता, वैज्ञानिक समुदाय, छात्र और आम लोग इस ऐतिहासिक पल को लेकर गर्वित महसूस कर रहे हैं।