
चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के लोगों का मेट्रो में सफर करने का सपना एक बार फिर अधूरा रह गया है। जिस मेट्रो प्रोजेक्ट की उम्मीदें लोग बरसों से लगाए बैठे हैं, अब उस पर फिर से इंतज़ार करना पड़ेगा।
दरअसल, चंडीगढ़ प्रशासन को मेट्रो परियोजना की जो रिपोर्ट दी गई थी, उसमें कई ज़रूरी बातें नहीं थीं। इस कारण प्रशासन ने रिपोर्ट को नामंज़ूर कर दिया है और रिपोर्ट तैयार करने वाली कंपनी राइट्स लिमिटेड (RITES) से कहा गया है कि वे इसे दोबारा पूरी तरह सही करके सौंपें।
क्या है मामला?
मंगलवार को चंडीगढ़ प्रशासन, पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों और राइट्स कंपनी के प्रतिनिधियों के बीच एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में मेट्रो परियोजना से जुड़ी तकनीकी और वित्तीय जानकारियों पर चर्चा हुई।
राइट्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मेट्रो का रूट कैसा होगा, कितना खर्च आएगा, कितने लोग इसका रोज़ाना इस्तेमाल करेंगे, बिजली की व्यवस्था कहां से होगी और ट्रेनों का संचालन कैसे किया जाएगा। लेकिन रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदु जैसे कि फंडिंग मॉडल, भूमि अधिग्रहण की स्थिति, पर्यावरणीय प्रभाव और सुरक्षा इंतज़ामों पर स्पष्ट जानकारी नहीं थी।
इस वजह से प्रशासन ने साफ कर दिया कि जब तक सारी ज़रूरी जानकारी रिपोर्ट में शामिल नहीं की जाती, तब तक मेट्रो परियोजना को मंज़ूरी नहीं दी जा सकती।
मेट्रो क्यों ज़रूरी है?
यह मेट्रो परियोजना चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के बीच बेहतर आवागमन के लिए बनाई जा रही है। इस क्षेत्र में बढ़ती ट्रैफिक की समस्या, पर्यावरणीय दबाव और तेज़ सार्वजनिक परिवहन की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई थी।
कब शुरू हुई थी तैयारी?
नवंबर 2024 में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने इस मेट्रो प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई थी। जनवरी और फरवरी 2025 में दो बैठकें भी हो चुकी थीं, लेकिन रिपोर्ट में कमियों के कारण निर्णय टलता रहा। अब यह तय हुआ है कि जब तक नई, पूर्ण रिपोर्ट तैयार नहीं होती, तब तक परियोजना पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा।
लोगों में मायूसी
लोगों को उम्मीद थी कि मेट्रो जल्द ही हकीकत बनेगी और ट्रैफिक से राहत मिलेगी। लेकिन बार-बार की देरी से लोगों में नाराज़गी और निराशा बढ़ रही है।
मोहाली निवासी प्रीति शर्मा कहती हैं, “हर साल सुनते हैं कि मेट्रो आएगी, लेकिन हर बार कोई ना कोई वजह से रुक जाती है। हम तो अब विश्वास ही खोने लगे हैं।”
आगे क्या?
अब सारा दारोमदार RITES पर है कि वे कितनी जल्दी नई रिपोर्ट तैयार कर पाते हैं। अगर रिपोर्ट प्रशासन को संतोषजनक लगती है, तो आने वाले महीनों में मेट्रो परियोजना को हरी झंडी मिल सकती है।चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के लोगों को अभी मेट्रो के लिए और इंतज़ार करना पड़ेगा। हालांकि प्रशासन और सरकार की ओर से गंभीर कोशिशें जारी हैं, पर मंज़ूरी तब तक नहीं मिलेगी जब तक रिपोर्ट पूरी और भरोसेमंद नहीं बन जाती।