पंजाब में मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। प्रदेश में तापमान में गिरावट और प्रदूषण स्तर में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है। चंडीगढ़ समेत अन्य शहरों में तापमान में कमी और अचानक ठंड बढ़ने का असर महसूस हो रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रदेश में ठंड में और गिरावट हो सकती है।
तापमान की स्थिति
चंडीगढ़ में अधिकतम तापमान 33.9 डिग्री और न्यूनतम तापमान 17 डिग्री तक पहुंच गया है। वहीं, पंजाब के सबसे गर्म शहरों में बठिंडा और फरीदकोट का तापमान 35.9 डिग्री दर्ज किया गया है। दूसरी ओर, सबसे ठंडा शहर पठानकोट रहा, जहां तापमान 14.4 डिग्री रहा। मौसम विभाग का अनुमान है कि 26 से 28 अक्टूबर के बीच राज्य में तापमान में बड़ी गिरावट दर्ज हो सकती है, जिससे ठंड बढ़ने की संभावना है।
प्रदूषण का बढ़ता स्तर
तापमान में गिरावट के साथ-साथ प्रदेश में वायु प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। चंडीगढ़ समेत पंजाब के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य के मंडी गोबिंदगढ़ को सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, जहां AQI 204 दर्ज किया गया है। इसी तरह, चंडीगढ़ का AQI रात के समय 318 तक पहुंच गया, जो वायु गुणवत्ता के ‘खराब’ स्तर को दर्शाता है।
पंजाब के प्रमुख शहरों में प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। अमृतसर में रात 11 बजे AQI 375 तक दर्ज किया गया, जबकि सुबह के समय जालंधर में AQI 303 था। इसी प्रकार, खन्ना में दोपहर 2 बजे AQI 322 दर्ज किया गया और लुधियाना में सुबह 7 बजे AQI 328 तक पहुंचा। इसके अलावा, पटियाला में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है, जहां AQI 289 तक दर्ज किया गया।
प्रदूषण का कारण और संभावित असर
मौसम में आए बदलाव और तापमान में गिरावट के साथ ही प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं भी इसमें योगदान दे रही हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। दीवाली के समय पटाखों का प्रयोग और वाहनों का बढ़ता हुआ ट्रैफिक भी प्रदूषण को और गंभीर बना सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति यूं ही बनी रही, तो श्वसन संबंधित समस्याएं जैसे अस्थमा, खांसी, और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को घर के अंदर ही रहने की सलाह दी है और बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करने की सलाह दी है।
स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चुनौतियां
वायु प्रदूषण से जनित स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ पर्यावरण पर भी इसका गंभीर असर पड़ रहा है। खेती में पराली जलाने से न केवल प्रदूषण बढ़ता है बल्कि खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब होती है। पराली जलाने से धुएं में पर्टिकुलेट मैटर (PM 2.5 और PM 10) का स्तर बढ़ जाता है, जो फेफड़ों के लिए खतरनाक है।
मौसम विभाग का कहना है कि ठंड में बढ़ोतरी और हवाओं की धीमी गति के कारण प्रदूषकों का फैलाव नहीं हो पा रहा है, जिससे वे हवा में जमा हो जाते हैं और AQI के स्तर को खराब कर देते हैं। ठंड के मौसम में वायु की गतिशीलता कम होती है, जिससे प्रदूषक हवा में ही स्थिर रहते हैं और इनहेल करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
नागरिकों के लिए सुझाव
सरकार को पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। फसलों के अवशेष को जलाने के बजाए उन्हें पुनः उपयोग करने के लिए तकनीकी उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसके अलावा, दीवाली पर पटाखों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने की जरूरत है।
नागरिकों को भी यह समझना चाहिए कि उनकी जिम्मेदारी पर्यावरण को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने, कार पूलिंग को अपनाने और अपने वाहनों की नियमित जांच कराने से भी प्रदूषण कम किया जा सकता है।
पंजाब और चंडीगढ़ में तापमान में गिरावट और प्रदूषण के बढ़ते स्तर से लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मौसम में ठंड के साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी बढ़ोतरी हो रही है, जो चिंता का विषय है। राज्य सरकार और नागरिकों के संयुक्त प्रयास से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।