
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर ने जोर पकड़ लिया था कि सरकार अब UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) लेनदेन पर दुकानदारों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने की योजना बना रही है। इस खबर ने खासकर छोटे व्यापारियों और डिजिटल पेमेंट को अपनाने वाले ग्राहकों में चिंता पैदा कर दी थी।
लेकिन अब इस खबर को वित्त मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि UPI लेनदेन पर किसी भी तरह का कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जा रहा है। मंत्रालय ने इस तरह की खबरों को पूरी तरह से गलत, भ्रामक और अफवाह फैलाने वाला करार दिया है।
सरकार ने यह भी दोहराया है कि वह डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। UPI जैसी नि:शुल्क और सुविधाजनक पेमेंट प्रणालियों को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में निरंतर कार्य हो रहा है।
UPI की बढ़ती लोकप्रियता
भारत में UPI का इस्तेमाल दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ रहा है। यह प्रणाली अब न केवल देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है। जून 2025 के पहले तीन दिनों में UPI के जरिए औसतन रोजाना 64.8 करोड़ लेनदेन किए गए।
1 जून को ही 64.4 करोड़ ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए, जबकि 2 जून को यह संख्या बढ़कर 65 करोड़ तक पहुंच गई। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि UPI अब वीज़ा कार्ड जैसी इंटरनेशनल पेमेंट प्रणालियों को भी पीछे छोड़ने लगा है।
UPI बन रहा है भारत की फिनटेक क्रांति का चेहरा
एयरपे के संस्थापक कुनाल झुनझुनवाला का कहना है कि, “UPI बहुत जल्द रोज़ाना के लेनदेन के मामले में पूरी तरह वीज़ा को पछाड़ देगा। यह भारत की फिनटेक क्रांति का एक बड़ा संकेत है।”
UPI की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह यूज़र और व्यापारी दोनों के लिए तेज़, सुरक्षित और मुफ्त है। QR कोड स्कैन कर पेमेंट करना आज आम बात हो गई है, और छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े रिटेलर्स तक, सभी इसे अपना चुके हैं।
सरकार के इस स्पष्टीकरण से अब यह साफ हो गया है कि UPI लेनदेन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। जनता को इस तरह की अफवाहों से सावधान रहने की जरूरत है और केवल सरकारी स्रोतों से मिली जानकारी पर ही भरोसा करना चाहिए। डिजिटल इंडिया की दिशा में UPI भारत को लगातार आगे बढ़ा रहा है।