झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निजी सलाहकार सुनील श्रीवास्तव और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ आयकर विभाग ने कड़ी कार्रवाई की है। आयकर विभाग ने टैक्स में गड़बड़ी की शिकायत के बाद श्रीवास्तव के रांची और जमशेदपुर स्थित ठिकानों समेत कुल 16-17 जगहों पर छापेमारी की। जानकारी के अनुसार, रांची में सात और जमशेदपुर में नौ स्थानों पर कार्रवाई की जा रही है। इनमें जमशेदपुर का अंजानिया इस्पात और अन्य ठिकाने शामिल हैं। हालांकि, अभी तक छापेमारी में मिली जानकारी का आधिकारिक खुलासा नहीं हुआ है।
टैक्स में गड़बड़ी के आरोप
आयकर विभाग के अनुसार, टैक्स में अनियमितता और गड़बड़ी को लेकर सुनील श्रीवास्तव पर कार्रवाई की गई है। विभाग को श्रीवास्तव के टैक्स भुगतान में गड़बड़ी की जानकारी मिली थी। इस जानकारी के आधार पर आयकर विभाग ने रांची और जमशेदपुर में श्रीवास्तव और उनके परिवार के सदस्यों के ठिकानों पर छापेमारी की है।
विधानसभा चुनाव में आयकर विभाग की छापेमारी
इससे पहले, आयकर विभाग ने 26 अक्टूबर को झारखंड के विधानसभा चुनाव के दौरान भी हवाला के माध्यम से धन के लेन-देन की सूचना के आधार पर छापेमारी की थी। उस वक्त रांची, जमशेदपुर, गिरिडीह और कोलकाता में हवाला कारोबारियों के ठिकानों पर हुई कार्रवाई में 150 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति और निवेश से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए थे। इस कार्रवाई ने चुनावी प्रक्रिया में धन के अनुचित उपयोग के प्रति भी चेतावनी दी थी।
ईडी की छापेमारी और हेमंत सोरेन की प्रतिक्रिया
अक्टूबर महीने में ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के जल जीवन मिशन से जुड़ी योजनाओं में अनियमितता को लेकर राज्य के मंत्री मिथिलेश ठाकुर और उनके संबंधियों के खिलाफ भी छापेमारी की थी। 14 अक्टूबर को ईडी ने ठाकुर के भाई, निजी सचिव और कुछ विभागीय इंजीनियरों के ठिकानों समेत कुल 20 जगहों पर यह कार्रवाई की। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तब इस छापेमारी पर बयान देते हुए कहा था कि ये कार्रवाई अप्रत्याशित नहीं है और विपक्ष के इशारे पर हो रही है। सोरेन का दावा था कि चुनाव के समय इस तरह की छापेमारी विपक्ष द्वारा उन्हें राजनीतिक नुकसान पहुंचाने की मंशा से की जाती है।
राजनीतिक और कानूनी प्रभाव
झारखंड में इस तरह की कार्रवाई ने राजनीतिक गर्माहट बढ़ा दी है। विपक्ष लगातार राज्य सरकार और उसके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है, वहीं हेमंत सोरेन सरकार इन छापेमारियों को चुनावी राजनीति का हिस्सा बता रही है। इस कार्रवाई का असर आने वाले चुनावों में भी दिख सकता है क्योंकि सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों ही इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करेंगे।
आयकर विभाग की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि सरकार और इसके निकटवर्ती लोगों पर टैक्स में पारदर्शिता की कमी के आरोपों को गंभीरता से लिया जा रहा है। वहीं, विपक्ष इसे सरकार के खिलाफ एक मोर्चा बनाने के तौर पर देख रहा है।