
पंजाब के जालंधर से आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। उन्हें आज विजिलेंस विभाग की टीम ने जालंधर जिला अदालत में पेश किया, जहां से अदालत ने उन्हें 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया। पुलिस ने रमन अरोड़ा के लिए 10 दिन का रिमांड मांगा था, लेकिन अदालत ने केवल 5 दिन की अनुमति दी।
मेडिकल जांच रात को हुई
गिरफ्तारी के बाद रात लगभग 12 बजे, विजिलेंस टीम रमन अरोड़ा को सिविल अस्पताल लेकर पहुंची, जहां उनका मेडिकल कराया गया। हालांकि उन्हें कार से बाहर नहीं निकाला गया। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी डॉक्टर सिमरन कौर ने की।
घर और कार की तलाशी
रिमांड मिलने के बाद आज पुलिस रमन अरोड़ा के घर और कार की तलाशी के लिए पहुंची। उनके घर पर 5 पुलिस अधिकारी दस्तावेजों की जांच कर रहे थे, जबकि बाहर 4 जवान तैनात थे।
भ्रष्टाचार की शुरुआत कैसे हुई?
पूरा मामला 14 मई 2025 को तब शुरू हुआ जब इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिज़ाइनर्स एसोसिएशन, जालंधर के तीन पदाधिकारियों ने विजिलेंस ब्यूरो में संयुक्त शिकायत दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सहायक टाउन प्लानर (ATP) सुखदेव वशिष्ठ रिश्वत की मांग कर रहा है। वह निरीक्षण के दौरान लोगों को इमारतें सील करने और तोड़ने की धमकी देता था।
शिकायत की जांच के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7 के तहत मामला दर्ज कर सुखदेव वशिष्ठ को 14 मई को गिरफ्तार कर लिया।
ATP का रमन अरोड़ा से कनेक्शन
जांच में खुलासा हुआ कि ATP सुखदेव वशिष्ठ, विधायक रमन अरोड़ा के कहने पर व्यावसायिक और आवासीय निर्माणों की पहचान करता था और जानबूझकर नोटिस जारी करता था। जब इमारत मालिक नोटिस के बाद उससे संपर्क करते, तो वह उन्हें सीधे विधायक अरोड़ा के पास भेजता था।
विधायक फिर गैरकानूनी तरीके से रिश्वत लेकर केस सुलझा देता था। उसके बाद ATP द्वारा फाइलें मंजूरी के लिए भेज दी जाती थीं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। इस तरह करीब 75-80 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें इसी पैटर्न का इस्तेमाल हुआ।
दस्तावेज़ों और सबूतों की बरामदगी
ATP वशिष्ठ के घर और दफ्तर से सैकड़ों सरकारी नोटिस, अधूरी फाइलें, और अनियमित दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इनमें से कई नोटिस डिस्पैच रजिस्टर में दर्ज ही नहीं थे। कई फाइलें बिना किसी कार्रवाई के लंबे समय से लंबित थीं।
जांच में यह भी सामने आया कि वशिष्ठ पहले पठानकोट में ड्राफ्ट्समैन था, लेकिन उसे जालंधर में ATP का अतिरिक्त चार्ज मिला हुआ था। वह अप्रैल 2022 से समय-समय पर जालंधर में तैनात रहा।
आगे क्या?
विजिलेंस ब्यूरो और स्थानीय सरकार की तकनीकी टीमें अब हर फाइल और नोटिस की दस्तावेजी जांच कर रही हैं। कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं, और जांच अभी जारी है।
यह मामला पंजाब की राजनीति में बड़ा भूचाल ला सकता है, क्योंकि एक विधायक और सरकारी अधिकारी की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। अब देखना होगा कि विजिलेंस की जांच आगे और क्या नए खुलासे करती है।