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अगर आपकी गाड़ी 15 साल पुरानी है और आप दिल्ली में रहते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि 1 अप्रैल 2025 से राजधानी के पेट्रोल पंपों पर 15 साल पुराने वाहनों को पेट्रोल और डीजल नहीं मिलेगा। इसके साथ ही ऐसे वाहनों को जब्त करने का अभियान भी शुरू किया जाएगा।
दिल्ली सरकार का बड़ा कदम
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने यह आदेश जारी किया है। 1 अप्रैल से 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों को ईंधन खरीदने की अनुमति नहीं होगी।
अगर कोई वाहन सड़कों पर चलता पाया गया, तो उसे जब्त कर लिया जाएगा और वाहन मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से राजधानी की हवा साफ होगी और प्रदूषण कम होगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है। खासकर नवंबर-दिसंबर के महीने में दिल्ली किसी ‘गैस चैंबर’ जैसी लगने लगती है। इस दौरान सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।
दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। लेकिन इसके उल्लंघन के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। अब सरकार ने इस प्रतिबंध को और कड़ा करते हुए पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया है।
दिल्ली में कितने पुराने वाहन हैं?
दिल्ली में करीब 55 लाख से अधिक 15 साल पुराने पेट्रोल और डीजल वाहन पंजीकृत हैं। इनमें:
✔ 66% दोपहिया वाहन हैं
✔ 54% चार पहिया वाहन हैं
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दिल्ली में 15 साल पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगा रखा है। अब सरकार इस आदेश को सख्ती से लागू करने जा रही है।
कैसे रोका जाएगा पेट्रोल-डीजल?
दिल्ली के 425 से अधिक पेट्रोल पंपों पर खास उपकरण लगाए जाएंगे, जो 15 साल से पुराने वाहनों को ईंधन देने से रोकेंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी पुराना वाहन पेट्रोल-डीजल न खरीद सके।
पुराने वाहन मालिकों के लिए क्या विकल्प?
अगर आपके पास 15 साल पुराना वाहन है, तो आप इन विकल्पों पर विचार कर सकते हैं:
✅ वाहन को स्क्रैप करवा सकते हैं
✅ इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीदने का विकल्प चुन सकते हैं
✅ सीएनजी में कन्वर्जन का विकल्प देख सकते हैं (हालांकि यह नीति अभी स्पष्ट नहीं है)
फैसले का असर
सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से दिल्ली की हवा साफ होगी और प्रदूषण कम होगा। हालांकि, यह कितना प्रभावी साबित होगा, यह 1 अप्रैल के बाद ही पता चलेगा।
अब देखना होगा कि दिल्ली के वाहन मालिक इस नए नियम को कैसे अपनाते हैं और सरकार इसे कितनी सख्ती से लागू करती है।