दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार सुबह दिल्ली के अधिकांश क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के करीब दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। प्रदूषण के इस स्तर पर लोगों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली के इलाकों का हाल
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। अलीपुर में AQI 362, आनंद विहार में 393, जहांगीरपुरी में 384, मुंडका में 396, नरेला में 383, नेहरू नगर में 362, पंजाबी बाग में 370, शादीपुर में 398, रोहिणी में 381 और विवेक विहार में 395 दर्ज किया गया। ये आंकड़े वायु गुणवत्ता की ‘बहुत खराब’ स्थिति को दर्शाते हैं।
एनसीआर में भी प्रदूषण का असर
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अन्य हिस्सों में भी हालात बेहतर नहीं हैं। हालांकि, कुछ स्थानों पर स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही। फरीदाबाद में AQI 154 दर्ज किया गया, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है। वहीं, गुरुग्राम में AQI 265, ग्रेटर नोएडा में 227, गाजियाबाद में 260 और नोएडा में 191 दर्ज किया गया।
AQI के मानक क्या कहते हैं?
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मानक के अनुसार:
0-50: ‘अच्छा’
51-100: ‘संतोषजनक’
101-200: ‘मध्यम’
201-300: ‘खराब’
301-400: ‘बहुत खराब’
401-500: ‘गंभीर’
दिल्ली के अधिकांश क्षेत्रों में AQI 300 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं
वायु गुणवत्ता खराब होने से लोगों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं हो रही हैं। खासकर बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा जैसे श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक साबित हो रही है। डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि वे अत्यधिक आवश्यकता न होने पर घर से बाहर न निकलें।
निर्माण स्थलों पर सख्ती बढ़ी
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र की समिति ने कड़े कदम उठाए हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण निकायों को निर्माण स्थलों पर वायु प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति दी है।
गुरुवार को हुई एक बैठक में सीएक्यूएम ने निर्माण और विध्वंस स्थलों पर वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए निर्देश जारी किए। आयोग ने कहा कि सभी संबंधित एजेंसियां यह सुनिश्चित करें कि प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों को रोका जाए और मानदंडों का सख्ती से पालन हो।
प्रदूषण रोकने के लिए क्या किए जा रहे हैं प्रयास?
दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियां प्रदूषण को रोकने के लिए विभिन्न उपाय कर रही हैं। इनमें निर्माण स्थलों पर धूल रोकने के लिए पानी का छिड़काव, सड़कों की सफाई और डीजल वाहनों की सीमित आवाजाही जैसे कदम शामिल हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्रयासों के बावजूद पराली जलाने, वाहनों से होने वाला प्रदूषण और औद्योगिक गतिविधियों के चलते वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है।
जनता को सलाह
विभागों ने जनता से अपील की है कि वे वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल करें, अधिक समय तक बाहर रहने से बचें और प्रदूषण कम करने में योगदान दें। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों का है ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके।
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या एक बार फिर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जहां सरकारी प्रयास जारी हैं, वहीं जनता की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों से बचे और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे।