
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार, 15 जून 2025 को अपने चार दिवसीय आधिकारिक विदेश दौरे पर रवाना हो गए हैं। यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनका पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा है और इसे भारत की वैश्विक रणनीतिक उपस्थिति को मज़बूत करने के एक अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है।
साइप्रस: व्यापार और कूटनीति की शुरुआत
पीएम मोदी अपनी यात्रा की शुरुआत साइप्रस गणराज्य से कर रहे हैं, जहां वे 15 और 16 जून तक रुकेंगे। साइप्रस की राजधानी निकोसिया में वे राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इसके अलावा, पीएम मोदी लिमासोल शहर में व्यापार जगत के नेताओं को संबोधित करेंगे। वे भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और निवेश के नए अवसरों पर चर्चा करेंगे। यह यात्रा खास इसलिए भी है क्योंकि पीएम मोदी साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं। उनसे पहले इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी वहां जा चुके हैं।
G7 सम्मेलन: वैश्विक मुद्दों पर भारत की भागीदारी
साइप्रस के बाद पीएम मोदी 16 से 17 जून तक कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सम्मेलन दुनिया की सात सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं का मंच है।
यहां प्रधानमंत्री आर्थिक सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक राजनीति, तकनीकी बदलाव और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे अहम मुद्दों पर भारत का नजरिया साझा करेंगे। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने खुद पीएम मोदी को फोन कर इस सम्मेलन में शामिल होने का न्यौता दिया था, जो भारत-कनाडा संबंधों में नई ऊर्जा का संकेत है।
क्रोएशिया: ऐतिहासिक दौरा
पीएम मोदी अपनी अंतिम यात्रा के लिए 18 जून को क्रोएशिया पहुंचेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला क्रोएशिया दौरा होगा, जिसे लेकर दोनों देशों में काफी उत्साह है। पीएम जाग्रेब में क्रोएशियाई प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच और राष्ट्रपति जोरान मिलानोविच से मुलाकात करेंगे।
इस दौरान व्यापार, तकनीकी सहयोग, संस्कृति और यूरोपीय संघ (EU) से भारत के रिश्तों को मज़बूत करने पर जोर दिया जाएगा। यह यात्रा भारत की यूरोप नीति में एक नया अध्याय जोड़ सकती है।
कुल यात्रा: 27,745 किलोमीटर का सफर
पीएम मोदी का यह चार दिवसीय दौरा लगभग 27,745 किलोमीटर लंबा है और वे 19 जून 2025 को भारत लौट आएंगे। यह यात्रा भारत की वैश्विक भूमिका, आर्थिक विकास और रणनीतिक रिश्तों को मज़बूत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
यह दौरा साफ संकेत देता है कि भारत अब न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी एक निर्णायक आवाज के रूप में उभर रहा है।