
मंगलवार, 29 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता देखने को मिली। सेंसेक्स 70.01 अंकों की बढ़त के साथ 80,288.38 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी भी 7.45 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 24,335.95 पर बंद हुआ।
सेंसेक्स में मिला-जुला प्रदर्शन
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 16 शेयरों में बढ़त रही, जबकि 14 में गिरावट देखी गई। टॉप गेनर्स में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और टेक महिंद्रा रहे, जिनके शेयरों में 2.2% से अधिक की बढ़त हुई। दूसरी ओर, अल्ट्राटेक सीमेंट, पावर ग्रिड और सन फार्मा के शेयरों में 2.3% से अधिक की गिरावट आई।
निफ्टी में ज़्यादातर शेयरों में गिरावट
निफ्टी के 50 शेयरों में से 31 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें तो फार्मा सेक्टर में 1.06% की सबसे बड़ी गिरावट आई। मेटल सेक्टर में 0.95% और मीडिया सेक्टर में 0.79% की गिरावट रही। वहीं, आईटी सेक्टर में 1.23% की अच्छी बढ़त देखने को मिली।
विदेशी निवेशकों का भरोसा बरकरार
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का भारतीय बाजार में विश्वास लगातार बना हुआ है। पिछले कारोबारी हफ्ते (21 से 25 अप्रैल) के दौरान FIIs ने भारतीय शेयर बाजारों में 17,425 करोड़ रुपये का निवेश किया। सिर्फ 28 अप्रैल को ही उन्होंने 2,474.10 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। घरेलू निवेशकों ने भी उसी दिन 2,817.64 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
वैश्विक बाजारों में भी रही मजबूती
दुनियाभर के बाजारों में भी सकारात्मक रुझान देखने को मिला। जापान का निक्केई बाजार अवकाश के चलते बंद रहा, पर पिछला कारोबारी दिन 134.25 अंक चढ़कर 35,839 पर बंद हुआ था। कोरिया का कोस्पी सूचकांक 19 अंकों की बढ़त के साथ 2,568 पर कारोबार कर रहा है। चीन का शंघाई कंपोज़िट मामूली गिरावट के साथ 3,287 पर कारोबार कर रहा है, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स 88 अंक बढ़कर 22,060 पर पहुँच गया।
अमेरिका के बाजारों में सकारात्मक संकेत
28 अप्रैल को अमेरिका का प्रमुख इंडेक्स डाओ जोंस 114 अंक (0.28%) चढ़कर 40,228 पर बंद हुआ। नैस्डैक 17 अंक (0.097%) और एसएंडपी 500 सूचकांक 4 अंक (0.064%) की हल्की बढ़त के साथ बंद हुए।
बाजार में तेजी के संभावित कारण
बाजार में सकारात्मकता की एक बड़ी वजह अमेरिका द्वारा भारत को 90 दिनों की टैरिफ छूट देना बताया जा रहा है। इससे भारत-अमेरिका व्यापार समझौते (BTA) को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं। वहीं, अमेरिका द्वारा चीन को टैरिफ में कोई राहत न देने से भारतीय निर्यातकों को निकट भविष्य में कुछ लाभ हो सकता है।