
ईरान और इज़राइल के बीच लगातार बढ़ रहा तनाव अब युद्ध जैसे हालात पैदा कर चुका है। इज़राइल ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि जब तक ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता, तब तक वह अपने हमले जारी रखेगा। इन हमलों ने पूरे पश्चिम एशिया में अस्थिरता फैला दी है और वैश्विक शक्तियां अब इस पर नजर बनाए हुए हैं।
हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में बयान देते हुए ईरान से अपील की है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिए जल्द किसी समझौते पर पहुंचे। ट्रंप ने इस हालात को ईरान की सरकार के लिए एक “दूसरा मौका” बताया, जिससे वह खुद को और इस क्षेत्र को और ज्यादा तबाही से बचा सके।
डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी बताया कि इज़राइली सेना ने अमेरिका द्वारा दिए गए आधुनिक हथियारों का उपयोग किया है। इनमें बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बनाने वाली तकनीक, गुप्त ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले हथियार और उच्च स्तरीय निगरानी प्रणाली शामिल हैं। इज़राइल ने इनका इस्तेमाल नतान्ज स्थित ईरान के परमाणु केंद्र और उनके वैज्ञानिकों को निशाना बनाने में किया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ’ पर लिखा, “मैंने ईरान को पहले ही चेतावनी दी थी कि यह सब उनके सोचने, समझने और सुनने से कहीं ज्यादा खतरनाक होगा।”
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने इज़राइल द्वारा किए गए विनाशकारी हमलों के बाद एक आपात बैठक बुलाई। ट्रंप ने इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अमेरिका किसी भी बड़े युद्ध से बचना चाहता है लेकिन जरूरत पड़ने पर उसके पास सबसे शक्तिशाली सैन्य साधन मौजूद हैं।
अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इज़राइली हमलों के जवाब में ईरान किसी भी समय पलटवार कर सकता है। ऐसे में अमेरिका ने अपनी सैन्य तैयारियों को तेज कर दिया है। कई सैन्य जहाजों और हथियारों को पश्चिम एशिया की ओर रवाना कर दिया गया है ताकि किसी भी हालात से निपटा जा सके। यह कदम यह भी दिखाता है कि अमेरिका इस संकट को बहुत गंभीरता से ले रहा है।
व्हाइट हाउस ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि अमेरिका इन हमलों में सीधे तौर पर शामिल नहीं है, लेकिन वह इज़राइल को समर्थन जरूर दे रहा है। अमेरिकी प्रशासन फिलहाल इस बात पर भी ध्यान दे रहा है कि यह तनाव किसी बड़े युद्ध में तब्दील न हो।
पश्चिम एशिया में अगर हालात और बिगड़ते हैं तो इसका प्रभाव न केवल इन दोनों देशों तक सीमित रहेगा, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था, तेल आपूर्ति और शांति पर इसका गहरा असर पड़ेगा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब इन घटनाओं पर टिकी हैं और एक स्थायी समाधान की उम्मीद की जा रही है।