भारत में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर कड़े नियम और भारी जुर्माने का प्रावधान किया है। इसके तहत, अब पराली जलाने वालों को पहले के मुकाबले कई गुना अधिक जुर्माना देना होगा। सरकार ने बुधवार, 6 नवंबर 2024 को इस फैसले को मंजूरी दी थी, और इसका गजट नोटिफिकेशन गुरुवार, 7 नवंबर को जारी किया गया। नए नियम तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं।
पराली जलाने पर लगेगा ज्यादा जुर्माना
सरकार की ओर से जारी नए नियमों के अनुसार, 2 एकड़ से कम भूमि पर पराली जलाने पर अब 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा, जबकि 2 एकड़ से अधिक भूमि पर जलाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है। अगर कोई किसान 2 से 5 एकड़ की भूमि पर पराली जलाता हुआ पकड़ा गया, तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं, 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में पराली जलाने पर 30,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। पहले, ये जुर्माना क्रमशः 2,500 रुपये, 5,000 रुपये और 15,000 रुपये था।
नया नियम क्यों लाया गया?
पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण का असर न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि शहरी इलाकों और खासकर दिल्ली-एनसीआर में भी गंभीर रूप से पड़ता है। हर साल सर्दियों के मौसम में पराली जलाने के कारण प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी होती है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका सबसे बड़ा असर दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में महसूस किया जाता है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्तर पर पहुंच जाता है। सरकार का मानना है कि पराली जलाने पर भारी जुर्माना लगाने से किसानों में जागरूकता बढ़ेगी और इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
ईपीए, 1986 के तहत नियमों में संशोधन
इसके अलावा, सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA), 1986 के तहत शिकायत दर्ज करने और जांच प्रक्रिया को लेकर भी नए नियम बनाए हैं। इन नियमों के अंतर्गत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के कार्यालयों में शिकायतें दर्ज की जा सकेंगी। नए नियमों में पर्यावरण प्रदूषण के मामलों की जांच और उन पर कार्रवाई की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया है, जिससे शिकायत करने वाले व्यक्तियों को न्याय मिलने में आसानी होगी।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विशेष लागू
संशोधित नियमों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में लागू किया गया है, जहां पराली जलाने का सीधा प्रभाव वायु गुणवत्ता पर पड़ता है। यह नियम वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत अधिसूचित किए गए हैं। इसे सार्वजनिक परामर्श के बिना लागू किया गया है, ताकि इस समस्या पर तुरंत नियंत्रण पाया जा सके और हवा में प्रदूषकों की मात्रा को कम किया जा सके।
शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया
सरकार ने पराली जलाने और प्रदूषण संबंधी अन्य समस्याओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को भी सरल और स्पष्ट बनाया है। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य संबंधित कार्यालयों में शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं। शिकायतकर्ता अपनी समस्या को स्पष्ट रूप से दर्ज करवा सकते हैं, और उसके बाद जांच की जाएगी। ये नए नियम पर्यावरण संरक्षण (जांच करने और जुर्माना लगाने का तरीका) नियम, 2024 के अंतर्गत अधिसूचित किए गए हैं।
पराली जलाने का विकल्प उपलब्ध कराने का प्रयास
केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह किसानों को पराली जलाने के विकल्प प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है। किसानों को जागरूक बनाने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की मशीनों का वितरण और सब्सिडी उपलब्ध कराने के लिए भी योजनाएं लागू की गई हैं, जिससे किसान बिना पराली जलाए अपने खेतों को साफ रख सकें। मशीनों का उपयोग करके पराली को खेतों में ही नष्ट किया जा सकता है, जिससे प्रदूषण में कमी आ सकती है।
जुर्माने की सख्ती से होगी प्रदूषण पर रोक?
विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने पर भारी जुर्माना लगाने से समस्या पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से समाधान नहीं है। इसके लिए जागरूकता अभियान, तकनीकी सहायता और किसानों के लिए आर्थिक रूप से व्यवहारिक विकल्प उपलब्ध कराना भी आवश्यक है। सरकार के इस कड़े कदम का उद्देश्य है कि किसान पराली जलाने की बजाय उसे वैज्ञानिक तरीकों से नष्ट करें।