राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में बोरवेल हादसे में पांच वर्षीय आर्यन की दर्दनाक मौत हो गई। 9 दिसंबर को खेलते समय आर्यन बोरवेल में गिर गया था। तीन दिनों तक चले बचाव अभियान के बाद भी मासूम को बचाया नहीं जा सका। रेस्क्यू टीम ने कड़ी मेहनत कर उसे बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
आर्यन का शव बाहर निकालने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए दौसा जिला अस्पताल की मोर्चरी में भेजा गया। गुरुवार सुबह शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा। इस घटना ने न केवल आर्यन के माता-पिता, बल्कि पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन: तीन दिनों तक चला अभियान
आर्यन को बचाने के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। बचाव कार्य में आधुनिक पाइलिंग मशीन का इस्तेमाल किया गया। बोरवेल से कुछ दूरी पर एक नया गड्ढा खोदा गया। इसके बाद गड्ढे और बोरवेल को जोड़ने के लिए एक टनल बनाई गई। एनडीआरएफ के जवानों ने पीपीई किट पहनकर 150 फीट गहराई तक जाकर आर्यन तक पहुंचने की कोशिश की।
रेस्क्यू ऑपरेशन में कई तकनीकी और भौगोलिक चुनौतियां आईं। मशीनों के उपयोग और मिट्टी की स्थिति के कारण बचाव कार्य धीमा हो गया। पूरी सतर्कता बरतने के बावजूद मासूम की जान नहीं बचाई जा सकी।
घटना स्थल पर लोगों की भीड़
आर्यन के बोरवेल में गिरने की घटना की खबर सुनकर हजारों लोग मौके पर पहुंच गए। हर किसी को उम्मीद थी कि मासूम को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। घटनास्थल पर परिजनों के साथ स्थानीय विधायक रामविलास मीणा और जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार भी मौजूद रहे। वे लगातार बचाव कार्य की निगरानी करते रहे और हर पल की जानकारी लेते रहे।
बोरवेल हादसे और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह पहली बार नहीं है जब खुले बोरवेल में गिरने से किसी मासूम की जान गई हो। इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, लेकिन प्रशासन और बोरवेल मालिकों की लापरवाही से इन पर रोक नहीं लग पाई है। खुले बोरवेल बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से प्रशासन और समाज को चेतावनी दी है कि खुले बोरवेल को बंद करने और सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
आर्यन के माता-पिता अपने इकलौते बेटे को खोने के गम में टूट चुके हैं। पूरे गांव में मातम का माहौल है। लोगों ने परिवार को सांत्वना दी, लेकिन उनकी पीड़ा कम नहीं हो सकी।
दौसा का यह हादसा प्रशासन और समाज के लिए एक बड़ा सबक है। खुले बोरवेल के कारण मासूमों की जानें जा रही हैं। अब समय आ गया है कि प्रशासन इन हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। बोरवेल मालिकों पर कड़ी कार्रवाई और खुले बोरवेल बंद करने का अभियान चलाना बेहद जरूरी हो गया है।