देश के बाजारों में इन दिनों सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। महंगाई की मार पहले से झेल रही आम जनता अब सब्जियों की बढ़ती कीमतों से और ज्यादा परेशान हो गई है। गरीब और मध्यम वर्ग के लोग अब सब्जियां खरीदने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं।
महंगे सब्जी रेट्स ने बढ़ाई मुश्किलें
इस समय बाजार में फूलगोभी 60 रुपये किलो, टमाटर 60 रुपये किलो, घीया-कद्दू 40 रुपये किलो, शिमला मिर्च 100 रुपये किलो, खीरा 50 रुपये किलो, मूली 20 रुपये किलो, करेला 50 रुपये किलो, हरी मिर्च 60 रुपये किलो, अदरक 100 रुपये किलो, गाजर 60 रुपये किलो, पालक 50 रुपये किलो, बैंगन 50 रुपये किलो, नींबू 120 रुपये किलो, मशरूम 200 रुपये किलो, लहसुन 400 रुपये किलो, प्याज 50 रुपये किलो और आलू 40 रुपये किलो की दरों पर बिक रहे हैं।
जनता का दर्द: रसोई का बजट बिगड़ा
स्थानीय निवासियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि सब्जियों के दामों में हुए भारी इजाफे ने उनकी रसोई के खर्च को प्रभावित किया है। एक गृहिणी ने कहा, “पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हम लोगों के लिए अब सब्जियां भी लग्ज़री बनती जा रही हैं।” कई लोगों ने बताया कि वे अब सिर्फ सस्ती सब्जियों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं और कई सब्जियों को खरीदना ही बंद कर दिया है।
व्यापारी भी परेशान, बिक्री घटी
सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि मंड़ी में सब्जियों के थोक दाम बहुत ज्यादा हैं, जिसके कारण वे भी ज्यादा महंगे दाम पर ही सब्जियां बेचने को मजबूर हैं। एक सब्जी विक्रेता ने कहा, “लोग अब पहले की तुलना में कम सब्जियां खरीद रहे हैं। बाजार में मंदी का माहौल है।” उन्होंने बताया कि कुछ लोग तो अब सिर्फ जरूरत की चीजें खरीद रहे हैं और कई ग्राहक बाजार में सिर्फ कीमतें पूछकर लौट जाते हैं।
बढ़ते दामों का कारण
सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण मौसम संबंधी समस्याएं और आपूर्ति में कमी बताया जा रहा है। कई जगहों पर खराब मौसम के चलते सब्जियों की पैदावार कम हुई है। इसके अलावा, परिवहन लागत में बढ़ोतरी और बिचौलियों की भूमिका ने भी दामों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
सरकार से राहत की उम्मीद
लोगों ने सरकार से अपील की है कि वह महंगाई पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए। एक ग्राहक ने कहा, “सरकार को सब्जियों की कीमतें कम करने के लिए मंड़ी व्यवस्था में सुधार लाना चाहिए।” वहीं, कुछ व्यापारियों ने भी सरकार से मांग की है कि थोक बाजार में कीमतें स्थिर करने के उपाय किए जाएं ताकि आम जनता और खुदरा विक्रेता राहत महसूस कर सकें।
बढ़ती सब्जी की कीमतों ने न सिर्फ आम जनता की रसोई का बजट बिगाड़ा है, बल्कि विक्रेताओं के कारोबार पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है। अगर जल्द ही स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। सरकार को जनता को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।