पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। उनके सम्मान में देश में सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सभी प्रमुख नेताओं ने डॉ. सिंह के आवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संदेश में कहा कि देश ने एक महान नेता खो दिया है। वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने डॉ. सिंह को अपना गुरु बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने मार्गदर्शक को खो दिया है।
अर्थव्यवस्था के डॉक्टर: डॉ. मनमोहन सिंह का सफर
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन एक अर्थशास्त्री के रूप में शुरू हुआ और उन्होंने अपने ज्ञान और कुशलता से देश को आर्थिक संकट से उबारा। अर्थशास्त्र में डीफिल की डिग्री हासिल करने वाले डॉ. सिंह ने योजना आयोग के सहायक सचिव से लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री जैसे अहम पदों पर कार्य किया।
1982 से 1985 तक आरबीआई गवर्नर के रूप में डॉ. सिंह ने बैंकिंग क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। उनके कार्यकाल में शहरी बैंकों के लिए अलग विभाग की स्थापना हुई और बैंकों की स्वायत्तता सुनिश्चित की गई। उन्होंने बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का 36% सरकार के पास सुरक्षित रखने की व्यवस्था की, जिसे एसएलआर (स्टैच्यूटरी लिक्विडिटी रेशियो) कहा जाता है।
1985 में राजीव गांधी सरकार ने उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विकास पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन 1990 के दशक में देश जब आर्थिक संकट के कगार पर था, तब वित्त मंत्री के रूप में उनके सुधारवादी कदमों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी।
आर्थिक सुधारों की शुरुआत
1991 में वित्त मंत्री के रूप में अपने पहले बजट भाषण में, डॉ. सिंह ने लाइसेंस राज को समाप्त करने और विदेशी निवेश के लिए अर्थव्यवस्था को खोलने का ऐलान किया। उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के दौर की शुरुआत की। उनके इन फैसलों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कर्ज के संकट से बाहर निकाला और उसे वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई।
राजनीति में गेम चेंजर
राजनीति में प्रवेश के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने कई चुनौतियों का सामना किया। 2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने गठबंधन राजनीति में भी विकास को प्राथमिकता दी। उनके कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, और खाद्य सुरक्षा जैसे कानून लागू हुए। साथ ही आधार कार्ड और सीधे नकद लाभ योजना की शुरुआत हुई।
उनकी सरकार के दौरान अमेरिका के साथ हुए ऐतिहासिक सिविल परमाणु समझौते ने देश को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी। उन्होंने इस समझौते को पूरा करने के लिए सत्ता को भी दांव पर लगा दिया। उनकी सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी योजना लागू की, जिसने 2009 के आम चुनावों में कांग्रेस की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जन्म और शिक्षा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। बंटवारे के समय उनका परिवार अमृतसर आ गया। उन्होंने हिंदू कॉलेज, अमृतसर से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स और एमए की पढ़ाई की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वे ब्रिटेन चले गए। उन्होंने सेंट जॉन्स कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में शिक्षा प्राप्त की।
विरासत और योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी सादगी, विनम्रता और कड़ी मेहनत के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने अर्थशास्त्री से लेकर प्रधानमंत्री तक की यात्रा में देश के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके सुधारवादी कदमों ने भारत को आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई।
डॉ. सिंह के निधन से न केवल राजनीति और अर्थव्यवस्था, बल्कि पूरे देश को एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।