BSP सुप्रीमो Mayawati ने Supreme Court द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर दिए गए निर्णय पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या दलितों और आदिवासियों की जिंदगी से नफरत और भेदभाव समाप्त हो चुका है? ऐसी स्थिति में आरक्षण की विभाजन की प्रक्रिया कितनी उचित है? उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि दोनों दलों का SC-ST और OBC के प्रति रुख उदारवादी रहा है, सुधारात्मक नहीं।
Mayawati ने सोशल साइट X पर लिखा, “राजनीतिक दमन सामाजिक दमन के मुकाबले कुछ भी नहीं है। क्या देश के करोड़ों दलितों और आदिवासियों की जिंदगी नफरत और भेदभाव से मुक्त हो चुकी है और आत्म-सम्मान से भरी हुई है? अगर नहीं, तो उन जातियों के बीच आरक्षण का विभाजन कितना उचित है जो जाति के आधार पर विभाजित और पराजित हैं?”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों और सरकारों का SC, ST और OBC बहुजन के प्रति रुख उदारवादी रहा है और सुधारात्मक नहीं। वे उनके सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के पक्ष में नहीं हैं, वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर सुरक्षित किया जाता।
गौरतलब है कि Supreme Court ने गुरुवार को आरक्षण के संबंध में दिए गए अपने निर्णय में SC-ST कोटे के भीतर आरक्षण को वैध घोषित किया है और आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर रखने की बात की है।