
पंजाब विधानसभा के स्पीकर श्री कुलतार सिंह संधवां ने बताया कि पंजाब सरकार इस वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस और वर्ष 2026 में श्री अमृतसर साहिब की 450वीं स्थापना को पूरी श्रद्धा, भव्यता और आधुनिक शैली में मनाने जा रही है। इसी उद्देश्य से उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के कुलपति डॉ. जगदीप सिंह और विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की।
सरकार और संगत मिलकर रचेंगे इतिहास
स्पीकर संधवां ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार संगत और विद्वानों के सुझावों के आधार पर बड़े कार्यक्रम आयोजित करेगी ताकि गुरु साहिबान के संदेश को दुनिया भर में फैलाया जा सके। उन्होंने कहा कि वह एक नम्र सिख के रूप में संगत और इतिहासकारों से सुझाव मांग रहे हैं ताकि इन शताब्दियों को धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक गरिमा के साथ मनाया जा सके।
गुरु तेग बहादुर जी का संदेश: मानव अधिकारों और भाईचारे की मिसाल
गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनका जीवन पूरी दुनिया को मानवता, धार्मिक स्वतंत्रता और सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देता है। वहीं, अमृतसर शहर का इतिहास और विरासत भी वैश्विक महत्व रखती है और इसका प्रचार-प्रसार करना सभी की जिम्मेदारी है।
विशेषज्ञ समिति दे रही है सुझाव
बैठक में शामिल विश्वविद्यालय की विशेष समिति के सदस्य प्रो. परमवीर सिंह, डॉ. जसविंदर सिंह और डॉ. संदीप कौर ने स्पीकर को अपने अमूल्य सुझाव दिए। स्पीकर ने इन सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि वे इन सभी प्रस्तावों को पंजाब सरकार तक पहुंचाएंगे और इस पर अमल भी करवाया जाएगा।
पंजाबी यूनिवर्सिटी निभाएगी अहम भूमिका
कुलपति डॉ. जगदीप सिंह ने आश्वासन दिया कि पंजाबी यूनिवर्सिटी पंजाब सरकार की योजनाओं को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए विश्वविद्यालय ने एक समिति बनाई है और सभी विभागों और कॉलेजों से कार्यक्रमों के प्रस्ताव मंगवाए गए हैं।
इसके अलावा, कॉन्स्टीटुएंट कॉलेजों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इन शताब्दियों से जुड़ी गतिविधियों की योजना बनाएं। यूनिवर्सिटी संबंधित सरकारी विभागों से तालमेल रखेगी और अपने स्तर पर हर संभव योगदान देगी।
पंजाब सरकार की यह पहल न केवल गुरु तेग बहादुर जी की विरासत को सम्मान देने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि अमृतसर शहर की सांस्कृतिक विरासत को भी विश्व स्तर पर स्थापित करने का प्रयास है। सरकार और विश्वविद्यालय मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास को जीवंत बना रहे हैं।