रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर भारत की तारीफ की और इसे वैश्विक महाशक्ति के रूप में पहचान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। पुतिन ने रूस के सोची शहर में आयोजित वल्दाई डिस्कशन क्लब के सत्र में यह बातें कही, जहां उन्होंने भारत की तेज आर्थिक वृद्धि और मजबूत सांस्कृतिक धरोहर की सराहना करते हुए इसे महाशक्तियों की सूची में शामिल किए जाने का समर्थन किया। पुतिन का यह बयान भारत और रूस के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती भूमिका को उजागर करता है।
भारत को महाशक्तियों की लिस्ट में शामिल करने की बात
पुतिन ने अपने संबोधन में कहा, “भारत को निस्संदेह अपनी डेढ़ अरब की आबादी, दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज विकास, प्राचीन संस्कृति और आगे विकास की बहुत अच्छी संभावनाओं के साथ महाशक्तियों की लिस्ट में जोड़ा जाना चाहिए।” पुतिन ने भारत के बढ़ते आर्थिक प्रभाव को लेकर यह बात कही, जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत न केवल एक प्राचीन सभ्यता है, बल्कि इसके पास आधुनिक समय में भी बहुत बड़ी ताकत है। इसके साथ ही, उन्होंने भारत के विकास की रफ्तार और संभावनाओं को भी महत्वपूर्ण बताया। पुतिन का यह बयान वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करता है और इसकी आर्थिक शक्ति को महाशक्तियों के बीच स्थापित करने का पक्ष लेता है।
रूस और भारत के रिश्ते
पुतिन ने रूस और भारत के बीच रिश्तों को विशेष बताया और इन रिश्तों को कई दशकों से मजबूत होते हुए देखा। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच सहयोग हर साल बढ़ रहा है। पुतिन ने यह भी कहा कि सोवियत संघ के समय से ही भारत और रूस के रिश्ते बहुत मजबूत रहे हैं, और सोवियत संघ ने भारत की आजादी में भी अहम भूमिका निभाई थी। इस संदर्भ में पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि भारत और रूस के रिश्ते केवल रणनीतिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक भी हैं।
पुतिन ने कहा, “हम भारत के साथ अपने रिश्तों को विभिन्न क्षेत्रों में विकसित कर रहे हैं। भारत एक महान देश है और यह आर्थिक विकास के मामले में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भी प्रमुख है। इसकी जीडीपी 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जो भारत की आर्थिक शक्ति को दर्शाता है।” पुतिन ने यह भी कहा कि रूस और भारत के रिश्ते हर साल और भी मजबूत हो रहे हैं, और रूस अपने भारत के साथ संबंधों को हर दिशा में और भी सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है।
चीन को लेकर पुतिन का बयान
पुतिन ने अपने संबोधन में भारत और चीन के बीच तनाव के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव को समझते हुए, वह उम्मीद करते हैं कि दोनों देश आपस में समझौता करेंगे। पुतिन ने कहा, “बुद्धिमान और सक्षम लोग जो अपने राष्ट्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हैं, वे समझौते की तलाश में हैं और अंततः उन्हें पा ही लेंगे।” यह बयान दोनों देशों के बीच शांति और समझौते की संभावना की ओर इशारा करता है।
पुतिन ने यह भी कहा कि अगर भारत और चीन के बीच बातचीत और समझौते की प्रक्रिया में गति बनी रही, तो दोनों देश एक समाधान तक पहुंच सकते हैं। उनका यह बयान यह भी दिखाता है कि रूस भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण संवाद के पक्षधर हैं और दोनों देशों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए राजनयिक प्रयासों की उम्मीद रखते हैं।
रूस और भारत के रिश्तों में मजबूती
पुतिन का यह बयान रूस और भारत के बढ़ते संबंधों को मजबूती से स्थापित करता है। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, और व्यापारिक संबंधों में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। साथ ही, भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और आर्थिक शक्ति को स्वीकारते हुए, रूस ने भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में मान्यता दी है। पुतिन का यह बयान भारत की बढ़ती शक्ति और वैश्विक महाशक्ति के रूप में उसके स्थान को स्वीकार करने का एक बड़ा कदम है।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन का बयान भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैश्विक राजनीति में इसके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने की दिशा में महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत एक महाशक्ति के रूप में अपने स्थान को पूरी तरह से सही ठहराता है और रूस इसे हर संभव समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, पुतिन का बयान यह भी दर्शाता है कि रूस, भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के समाधान के लिए सक्रिय रूप से राजनयिक प्रयासों में सहयोग करेगा।