
भारत के पुस्त्र अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक और बड़ी सफलता मिली है। भारत सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है, जिससे चंद्रमा की सतह का और अधिक गहराई से अध्ययन किया जाएगा। इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने रविवार को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह मिशन जापान के सहयोग से पूरा किया जाएगा।
250 किलोग्राम का रोवर करेगा चंद्रमा का अध्ययन
नारायणन ने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन के तहत 250 किलोग्राम वजन का एक बड़ा रोवर चंद्रमा पर भेजा जाएगा। इसकी तुलना में चंद्रयान-3 मिशन में भेजा गया ‘प्रज्ञान’ रोवर सिर्फ 25 किलोग्राम का था। नया रोवर चंद्रमा की सतह का और अधिक गहराई से अध्ययन करेगा और वहां मौजूद खनिजों और मिट्टी की जांच करेगा।
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता
भारत ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इसका लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला भारतीय यान बना। इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला देश बन गया जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित लैंडिंग की।
चंद्रयान-4 से चंद्रमा से नमूने लाने की योजना
इसरो के चेयरमैन ने यह भी बताया कि चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा से मिट्टी और पत्थरों के नमूने इकट्ठा करके धरती पर लाना है। यह मिशन काफी जटिल होगा और इसे 2027 तक लॉन्च किए जाने की योजना बनाई जा रही है।
भारत के अंतरिक्ष मिशन में लगातार बढ़ती प्रगति
इसरो के वैज्ञानिक लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 के जरिए चंद्रमा के बारे में और गहरी जानकारी हासिल करेगा। जापान के सहयोग से होने वाला चंद्रयान-5 मिशन इसरो की एक और बड़ी उपलब्धि होगी।
इसरो के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत मंगल और शुक्र ग्रह के लिए भी विशेष मिशन तैयार कर रहा है। इसके साथ ही, भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ी शक्ति बनकर उभर रहा है। चंद्रयान-5 मिशन भारत के वैज्ञानिक कौशल और अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत का एक और प्रमाण होगा।