Sanjay Singh: गुरुवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य Sanjay Singh ने महामारी और आचार संहिता अधिनियम के उल्लंघन के मामले में विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। इस मामले की सुनवाई MPMLA कोर्ट के मजिस्ट्रेट शुभम वर्मा ने की।
एफआईआर का मामला और घटना की पृष्ठभूमि
वर्ष 2021 में बांधु कला थाना प्रभारी प्रवीण कुमार सिंह ने Sanjay के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी। यह घटना 13 अप्रैल, 2021 की है जब Sanjay Singh हसनपुर गांव में अपनी पार्टी के जिला परिषद सदस्य उम्मीदवार सलमा बेगम के समर्थन में एक बैठक कर रहे थे। इस बैठक में लगभग 50-60 लोग मौजूद थे। आरोप है कि Sanjay Singh ने इस बैठक के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी, जबकि कोविड महामारी के दौरान ऐसी किसी भी सभा के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति आवश्यक होती है।
एफआईआर में यह भी कहा गया कि Sanjay की यह कार्रवाई महामारी अधिनियम और अन्य कानूनों का उल्लंघन करती है। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की और Sanjay Singh सहित 11 अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट अदालत में पेश की। इनमें मकसूद अंसारी, सलीम अंसारी, जगदीश यादव, मकसूद, सुकई, धर्मराज, जीशान, सहबान, सिकंदर, जलील और अजय शामिल थे।
आरोपियों की जमानत और Sanjay Singh की गैर-मौजूदगी
जबकि अन्य आरोपी पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके थे, Sanjay Singh अदालत में पेश नहीं हुए थे। इस कारण उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया था। Sanjay के वकील रुद्र प्रताप सिंह मदान ने अदालत में बताया कि उनके मुवक्किल ने दो 20,000 रुपये के मुचलकों और एक व्यक्तिगत बंध पत्र के साथ आत्मसमर्पण किया।
Sanjay Singh का आत्मसमर्पण और जमानत
Sanjay ने गुरुवार को विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया और मजिस्ट्रेट शुभम वर्मा ने उनकी जमानत याचिका को मंजूरी दी। अदालत ने उन्हें दो 20,000 रुपये के मुचलकों और एक व्यक्तिगत बंध पत्र पर रिहा कर दिया। Sanjay Singh के वकील ने बताया कि सभी आवश्यक दस्तावेज अदालत में दाखिल कर दिए गए हैं और अब Sanjay Singh को रिहा कर दिया गया है।
मामले का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
यह मामला सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी के राज्यसभा सदस्य का नाम शामिल है। महामारी के दौरान नियमों का उल्लंघन एक गंभीर मामला है और इस पर जनता की नजर भी है। Sanjay Singh का आत्मसमर्पण और अदालत का जमानत पर रिहाई का आदेश यह दर्शाता है कि कानून सभी के लिए समान है, चाहे वह कितने भी उच्च पद पर हो।
निष्कर्ष
Sanjay का यह मामला एक महत्वपूर्ण घटना है जो महामारी के दौरान नियमों के पालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। अदालत की प्रक्रिया और Sanjay Singh की जमानत दर्शाती है कि न्यायपालिका ने इस मामले में तटस्थता और निष्पक्षता से काम किया है। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि किसी भी सार्वजनिक सभा या बैठक के लिए आवश्यक अनुमति प्राप्त करना कितना महत्वपूर्ण है, विशेषकर जब देश महामारी जैसी गंभीर स्थिति का सामना कर रहा हो।